तेजाब’ और ‘राम लखन’ जैसी फिल्मों में लाजवाब अभिनय करने वाली माधुरी दीक्षित का जीवन आज जितना सरल और सहज लगता है, इतना शुरु से नहीं रहा है. माधुरी ने इस मुकाम को पाने के लिए बहुत मेहनत की है. माधुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्म अबोध से की थी. यह फिल्म जब रिलीज हुई तो बुरी तरह से फ्लाफ हो गई, जिसके बाद एक्ट्रेस को फिल्में मिलना बंद हो गई. इस दौरान उन्हें एक बी ग्रेड की फिल्म ऑफर हुई. काम की कमी के चलते उन्होंने यह फिल्म साइन कर ली. इस फिल्म का नाम मानव हत्या था. शेखर सुमन इस फिल्म में माधुरी के अपोजिट थे.
छह महीने नहीं मिली फीस
फिल्म की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर सेट पर माधुरी के साथ बुरा बर्ताव किया करते थे. वह सेक्स जैसी विषयों पर फिल्में बनाता था और माधुरी से भी कुछ वैसे ही बोल्ड सीन करवाना चाहता था. माधुरी के माता-पिता ने इससे इंकार कर दिया. इसके बाद उस व्यक्ति ने उन्हें छह महीने तक माधुरी के काम की फीस भी नहीं दी. बाद में फिल्म के फाइनेंसर्स ने भी फिल्म से हाथ खींच लिए. इस कारण से ये फिल्म अधूरी ही रह गई. हालांकि माधुरी की स्टार बनने के बाद कुछ टीवी चैनलों ने ये फिल्म जैसी थी वैसी ही लेटनाइट टीवी पर दिखाया. माधुरी ने इस फिल्म का या शेखर सुमन के साथ काम करने का कभी भी जिक्र नहीं किया.
सुभास घई को भा गई माधुरी
ये बात तो सत्य है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान माधुरी की किस्मत बदली और एक स्टूडियो में उन्हें उस दौर के सबसे प्रभावशाली फैशन फोटोग्राफर राकेश श्रेष्ठ ने देखा. श्रेष्ठ ने माधुरी के माता-पिता से जाकर पूछा कि क्या वह उनकी बेटी की कुछ तस्वीरें खींच सकते हैं. इसपर उनके माता-पिता ने कहा कि हमारे पास आपके जैसे महंगे और बड़े फोटोग्राफर को देने लायक फीस नहीं है.
इस पर राकेश श्रेष्ठ ने माधुरी की तस्वीरें खींचने के बदले में फ्री में उनका पोर्टफोलियो बनाने का वादा किया. श्रेष्ठ ने खुद ही माधुरी का पोर्टफोलियो निर्माता-निर्देशक सुभाष घई को जाकर दिखाया. यह भी कहा जाता था तब सुभाष घई की एक फिल्म की शूटिंग माधुरी के सेट के इर्द-गिर्द चल रही थी. सुभाष ने भी माधुरी को एक-दो मर्तबा देखा था. लेकिन जब घई ने पोर्टफोलियो में माधुरी की फोटो देखा तब उन्होंने उसी वक्त कह दिया कि मुक्ता आर्ट्स की नई हीरोइन मिल गई.