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घरेलू नुस्खे में जरूरत से ज्यादा काढ़ा हमारे शरीर को पंहुचाता है नुक्सान

घरेलू नुस्खे में जरूरत से ज्यादा काढ़ा हमारे शरीर को पंहुचाता है नुक्सान

अक्सर छोटी-छोटी बीमारियों के लिए घरेलू नुस्खे हम आजमाते हैं. आयुष मंत्रालय ने कहा हमें फायदा मिलता है काढ़ा पीने से कई बीमारीओं में घर पर ही काढ़ा बना लेते हैं. यह विभिन्न रोगों में बहुत ही फायदेमंद साबित होता है. लेकिन जरूर से ज्यादा किसी भी चीज का सेवन करना हमारे सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. काढ़ा भले ही रोजाना पीना एक हेल्थी आदत हो, लेकिन कितनी मात्रा में पीना चाहिए और कितनी बार इसका सेवन करना चाहिए यह भी जानना बेहद आवश्यक है.

शरीर में इस तत्व के बढ़ने से खत्म वायरस

आहार के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जो तरीका सबसे कारगर माना जा रहा है. वह गर्म पानी और काढ़ा भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी कोरोना से बचाव में आयुर्वेदिक काढ़े को उपयोगी मान चुका है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए सभी लोग काढ़ा पी रहे हैं. लेकिन काढ़ा बनाने का सही तरीका जो लोग नहीं जानने हैं, उनके लिए खतरा भी है वही इस असावधानी से लोगों में दूसरी तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ रही हैं. चक्कर आना, पेशाब में जलन, कब्ज एसिडिटी और पाइल्स की समस्या लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है. आयुर्वेद के अनुसार शरीर में अम्लीय या क्षारीय तत्व बढ़ने से वायरस खत्म होते हैं, तो उसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं. काढ़ा बनाने और उसे पीने के नियम है इनका पालन करना बहुत ही जरूरी होता है.

काढ़ा के सेवन से लीवर ठीक ऐसा किया दावा

आयुष मंत्रालय का कहना है कि काढ़ा बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली जो भी सामग्रियां हम प्रयोग में लेते हैं. वह सभी सामग्री घरों में खाना पकाने के काम में आते हैं. इसलिए लंबे समय तक काढ़ा का सेवन करने से हमारे लिवर को नुकसान नहीं पहुंचता है. संवाददाता सम्मेलन में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य “राजेश कोटेचा” ने कहा दालचीनी, तुलसी और काली मिर्च का उपयोग काढ़ा बनाने में किया जाता है. और उनका श्वसन तंत्र पर अनुकूलित प्रभाव पड़ता है. इससे पहले मंत्रालय ने दिन में एक या दो बार काढ़ा पीने के लिए सलाह दी थी, लेकिन कुछ लोगों का तो दिन में करीब पांच से छह बार हो जा रहा है, जिसके कारण लोग कई सारी बीमारियों से घिर जा रहे हैं.

भारत में काढ़ा या जोशांदा परंपरागत औषधि

सामग्री के साथ तुलसी, सोंठ, (अदरक का पाउडर) दालचीनी, काली मिर्च और किशमिश को काढ़ा तैयार करते वक्त मिलाने को कहा जाता था. कोटेचा ने बताया था कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित किया जा सके कि काढ़ा से लीवर को नुकसान पहुंचता है. यह धारणा पूरी तरह से गलत माना जाता है, क्योंकि काढ़ा की सारी सामग्रियों का उपयोग हम अपने घरों में भोजन को बनाने में प्रयोग करते हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के खिलाफ  यह कितना प्रभावी है. इसका पता लगाने पर अनुसंधान जारी है. भारत में काढ़ा या जोशांदा परंपरागत औषधि रही है. इसके इस्तेमाल से पुराने जमाने से कई बीमारियां को खत्म किया जाता है. जैसे कि खांसी, नजला, और जुखाम में काढ़ा बहुत ही असरदार साबित होता है.

कोविड-19 रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में असरदार साबित

हमारी लीवर को काढ़ा से नुकसान पहुंचने का कोई सबूत नहीं मिला है. आयुष मंत्रालय ने काढ़ा के लंबे समय तक इस्तेमाल से लीवर को नुकसान के दावे को गलत साबित किया उसने कोविड-19 मद्देनजर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काले के सेवन को सर्वोच्च स्थान दिया.

 

 

 

 

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