चीन ज़ब अपने नागरिकों के साथ दुश्मन से भी बत्तर व्यवहार करता है, तो भला अन्य देशो के साथ कैसा करेगा. इसकी एक बानगी सोशल मीडिया पर इस कदर वायरल हो रही है कि उसे जानने के बाद तो बस लोगों के मुँह से यही निकल रहा है “हद है हैवानियत की”. एक जानकारी के अनुसार चीन में करीब 20 लाख उइगर मुसलमान डिटेंशन कैम्प्स में रखे गए है। जिनके परिवारों पर सरकारी अधिकारी लगातार नज़र रखते हैं और ज़बरन उइगर महिलाओं का गर्भपात करा दिया जाता है। उइगर महिलाओं का नियमित रूप से प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जाता है। साथ ही उनके गर्भाशय में यंत्र फिट कर दिए जाते हैं।
जबरन गर्भपात भी ….
सैकड़ो महिलाओं का जबरन गर्भपात कराए जाने की भी ख़बर वायरल हो रही है. कहा जा रहा है कि अब तक लाखों महिलाएं इस यातना का शिकार हो चुकी हैं. ये चौंकाने वाली बात सामने आई है कि जहाँ पूरे चीन में गर्भपात की संख्या घटती जा रही है, वहीँ शिनजियांग में इसमें जबरदस्त वृद्धि आई है। आखिर ऐसा क्या है इस इलाके मे जो चीनी सरकार नहीं चाहती कि जनसंख्या मे वृद्धि हो.ये एक बड़ा सवाल तो है ही साथ ही एक खास समुदाय के प्रति चीनी सरकार की नफरत भी सामने आई है. जो तमाम ऐसे लोगों पर सवालिया निशान भी लगाते है जो खुद को उस खास सामुदाय का हितैषी बताते हैं.
बच्चों व माता पिता के साथ भी हैवानियत….
उइगर मुसलमानों में महिलाओ के साथ ही उन लोगों पर भी जमकर अत्याचार किया जाता है जिनके दो से अधिक बच्चे होते हैं. ऐसे लोगों को चीन ज़बरन प्रताड़ना कैम्पों में ठूँस देता है। दो से अधिक बच्चे होने पर उन माता-पिता को बच्चों से दूर कर दिया जाता है. और बच्चों को वापस करने के नाम पर उनसे बड़ी धनराशि वसूली जाती है. ऐसे मे जिनके पास पैसा नहीं होता वो माता पिता रोते बिलखते अपने बच्चों को खोजने में लगे रहते हैं। साथ ही पुलिस अधिक बच्चों वाले घरों की छापेमारी करती रहती है और बच्चों को भी उठा कर ले जाती है।
एक बानगी….कंपा देगी…
कजाखस्तानी मूल की एक उइगर मुस्लिम महिला गुलनार ओमिरजाख ने जैसे ही अपने तीसरे बच्चे को जन्म दिया. चीन की कम्युनिस्ट सरकार को इसकी भनक लग गई। इसके बाद अधिकारियों और मेडिकल टीम उसके घर भेज कर उसके गर्भाशय में गर्भनिरोधक यंत्र डाल दिए गए। बात यही खत्म नहीं होती है, 2 साल बाद जनवरी 2018 में चीनी अधिकारी फिर उसके पास गए और तीन बच्चे पैदा करने के जुर्म मे 2 लाख का जुर्माना कर दिया. इसके लिए उन्हें मात्र 3 दिनों का समय दिया गया और धमकी दी गईं कि जुर्माना न भरने पर उसे और उसके पति को लाखों दूसरे उइगर मुसलमानों की तरह प्रताड़ना कैम्पों में डाल दिया जाएगा।
…और फिर घट गईं जन्म दर
शिनजियांग में तो डर का आलम ये है कि मात्र 1 साल में बच्चों के जन्म की दर 24% घट गई. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये औसत काफ़ी कम, करीब 4.2% ही रहा. ‘द एसोसिएट प्रेस’ के अनुसार, शिजियांग कभी सबसे ज्यादा जन्म दर वाला क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन अब जन्म दर काफ़ी तेज़ी से घट रही है.
क्या कहते है अध्ययन कर्ता….
चीन में अल्पसंख्यक क्षेत्रों का अध्ययन करने वाले जेंग ने खुलासा किया है कि जन्म दर मे इस तरह की गिरावट शायद ही कहीं देखी गईं हो. यह एक बड़े ‘बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम’ का हिस्सा है. इस प्रोग्राम को चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। इसमें स्वेच्छा के लिए कोई जगह नहीं है और अत्याचार पर ही सारी प्रक्रिया आधारित है। 2014 मे राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शिनजियांग दौरे के साथ ही इस ‘बर्थ कंट्रोल’ प्रोग्राम’ की नीव डाली गईं.
देखिए क्या कहते है चीनी सरकार के पक्षधर….
चीन सरकार के समर्थक विशेषज्ञ सरकार का बचाव करते हुए कहते है कि बम ब्लास्ट, चाकूबाजी और अन्य प्रकार के हमलों के अलावा आतंकी हमलों के लिए भी शिनजियांग के उइगर मुसलमान ही दोषी हैं। शिनजियांग अकादमी ऑफ सोशल साइन्सेज का कहना है कि चीन मे गरीबी और कट्टरता के लिए यही उइगर मुसलमान जिम्मेदार हैं. इसीलिए इनके बच्चे पैदा करने की दर को कम करना जरूरी है।
ये एक नरसंहार है…
यूके के न्यूकासल यूनिवर्सिटी के जाऊन स्मिथ फिनली का कहना है कि ये एक तरह का ऐसा नरसंहार है, जिसकी प्रक्रिया को एकदम धीमा रखा गया है। उन्होंने कहा कि उइगर मुसलमानों कि जनेटिक जनसंख्या कम करने के लिए ये सब किया जा रहा है। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी गर्भवती महिलाओं और बच्चों को खोजने के लिए उइगर मुसलमानों के घर-घर जाकर चेक करते हैं। चीन सरकार ने स्पेशल कमरे बनाए हैं. जहां अल्ट्रासाउन्ड स्कैनर्स लगे हुए है. जहाँ उइगर मुस्लिम महिलाओं का जबरन गायनोकोलॉजी टेस्ट कराया जाता है।
7 बच्चे होने पर दी गईं 7 साल की सजा….
चीन मे ट्रैक्टर ड्राइवर अबदुशुकुर उमर को 7 साल की सजा सिर्फ इसलिए दी गईं क्योंकि उसके 7 बच्चे थे। इसी के साथ चीन हान समुदाय और उइगर मुसलमानों के बीच अन्तरजातीय विवाह पर भी जोर दे रहा है, ताकि वहाँ कि डेमोग्राफी बदली जा सके. महिलाओं को जबरन ऐसे लेक्चरों मे हिस्सा लेने को कहा जाता है, जहाँ बच्चे न पैदा करने की सलाह दी जाती है और ब्रेन वाश किया जाता है.
महिलाओ का पीरियड भी बंद कर देती है चीन सरकार…
इस सम्बन्ध मे कुछ ऐसी पीड़ित उइगर मुस्लिम महिलाओं ने खुलासा किया है कि उन्हें बर्थ कंट्रोल पिल खिलाए गए है और इंजेक्शन दिए गए। जिससे उनकी इन दवाओं के कारण आलस, थकान और बेहोशी जैसी हालत हो गई। इसके बाद उन महिलाओं के पीरियड्स ही आने बंद हो गए। जब हिरासत और प्रताड़ना कैंपों से निकल कर ये महिलाएँ किसी तरह चीन से बाहर निकलने में कामयाब हुई और उन्होंने मेडिकल टेस्ट कराया तो पाया कि उन्हें ड्रग्स देकर बाँझ बनाया दिया गया.
चीन की हैवानियत पर क्यों नहीं बोलते….
अब सवाल ये उठता है कि भारत मे रहकर चीन की तरफदारी करने वाले एक समुदाय के कुछ तथाकथित ठेकेदार चीन की इस हैवानियत पर मुँह क्यूँ नहीं खोल रहे हैं. अगर बात करें जम्मू-कश्मीर की तो यहां डेमोग्राफी और अत्याचार का रोना रोने वाले और वहाँ की जनता को भारत के खिलाफ भड़काने वाले झूठे ठेकेदारों को क्या चीन की ये सूरत नहीं दिखाई देती. चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत इनमे इस लिए नहीं क्योंकि इनको अपनी राजनितिक रोटी सेंकनी है. तथाकथित इस्लामी कट्टरपंथियों ने आज तक लाखों उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर एक शब्द नहीं बोला. जबकि जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है वो दुनिया के सामने है. वहाँ भी भारत के अन्य राज्यों की तरह लोकतान्त्रिक प्रक्रिया ही लागू है. लोगों को भारत के शेष हिस्से से ज़ादा ही सुविधाएँ और अधिकार दिए जा रहे है.
एक खौफनाक चेहरा ये भी…..
इसी तरह एक बार और चीनी उइगर मुस्लिमों की पत्नियों पर होने वाले अत्याचार सोशल मीडिया पे वायरल हुए थे जिसमे बताया गया था कि सरकारी अधिकारी और नेता महिलाओ को उनके साथ सेक्स के लिए मजबूर भी करते है. यह अत्यंत ही शर्मनाक बात है कि उइगर मुस्लिम परिवारों के लिए वहाँ नियम बनाया गया है कि वो नियमित रूप से चीनी अधिकारियों को खुश करेंगी. इसी के साथ उइगर मुस्लिमों को चीन की क्षेत्रीय नीति और चीनी भाषा की जबरन शिक्षा दी जाती है. मुस्लिम को ज़बरन शराब और सूअर का माँस भी खिलाया जाता है.
देखिए पाकिस्तान की भी हकीकत….
चीन को मसीहा के रूप में देखने वाले जम्मू-कश्मीर के कट्टर इस्लामी जहाँ इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हैं, तो वहीँ पाकिस्तान ने भी इस मुद्दे पे अपना मुँह सिल लिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहते हैं कि उन्हें उइगर पर हो रहे अत्याचारों के बारे में कुछ पता ही नहीं। उनके इस बयान से मुस्लिम समुदाय मे घोर निराशा व्याप्त हो गईं है.
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