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ऑटो चलाकर दिव्यांग बेटी करवा रही है अपने पिता के कैंसर का इलाज़

ऑटो चलाकर दिव्यांग बेटी करवा रही है अपने पिता के कैंसर का इलाज़

आजकल लड़कियाँ लड़को से किसी भी मामले में कम नहीं है। आज लड़कियाँ बस से लेकर प्लेन तक उड़ा रही है। किसी न किसी क्षेत्र में तो लड़किया लड़को से भी आगे जा चुकी है। आज लड़के और लड़कियों में फर्क ख़त्म हो चुका है। बताते है आज आपको ऐसी ही कहानी एक दिव्यांग लड़की जो पिछले एक वर्ष से अपने पिता के कैंसर के इलाज़ के लिए ऑटो चला रही है और यही नहीं अब वह अहमदाबाद की पहली दिव्यांग महिला ऑटो ड्राइवर बन चुकी हैं।

छोड़नी पड़ी थी कॉल सेंटर की नौकरी

कहानी गुजरात के सूरत की ‘अंकिता शर्मा’ अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने इकोनाॅमिक्स से ग्रेजुएशन करने के बाद वह कॉल सेंटर में जॉब करने लगी। फिर उनके पिता को कैंसर हो गया जिसके इलाज़ के लिए उन्हें छुट्टी लेकर घर जाना पड़ता था। यहाँ की नौकरी से होने वाली आय भी उनके इलाज़ के लिए पर्याप्त नहीं था। फिर अंकिता बताती हैं कि 12 घंटे नौकरी करने के उन्हें 12000 रूपए मिलते थे।

उन्होंने दूसरे जॉब के लिए आवेदन देना शुरू कर दिया। परंतु वह कहीं भी सफल नहीं हो पायी। कही कही दिव्यांगता के कारण भी उन्हें निराशा हाथ लगी। पिता के देखभाल के लिए अंकिता जॉब छोड़ चुकी थी परंतु पैसे के अभाव में कैंसर का इलाज़ बिल्कुल भी संभव नहीं था। ऐसी परिस्थितियों से घबराए बिना अंकिता ने ऑटो रिक्शा चलाने का फ़ैसला किया।

महीने में कमा लेती हैं बीस हज़ार रूपए

अंकिता ने अपने दोस्त ‘लालजी बारोट’ ने ऑटो चलाना सीखा। ‘लालजी’ स्वयं भी दिव्यांग है और ऑटो चलाते हैं। उनके दोस्त ने उनको ऑटो सिखाने के साथ ही कस्टमाइज्ड ऑटो लेने में भी उनकी मदद की जिसमें एक ब्रेक हाथ से ऑपरेट होता है।

दोस्त के सहयोग और अपने दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के चलते आज अंकिता 8 घंटे ऑटो चलाकर बीस हज़ार रूपए प्रति महीने कमा रहीं हैं। अब वह अपने पिता का इलाज़ करवा पा रही हैं और भविष्य में ख़ुद का टैक्सी का बिजनेस करने का प्लान कर रही हैं। अंकिता उन तमाम लोगों के लिए एक सबक हैं जो लड़कियों को कमजोर समझते हैं।

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