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राज्यसभा चुनाव जीतने के बावजूद भी भाजपा में मचा हड़कम्प, जाने वजह

राज्यसभा चुनाव जीतने के बावजूद भी भाजपा में मचा हड़कम्प, जाने वजह

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की सियासत ने एक बार फिर राज्यसभा चुनावों में नई सरगर्मियों को हवा दे दी है, इससे सत्ताधारी भाजपा की चिंताओं में थोड़ी बढ़ोतरी कर दी है हालांकि इसकी वजह से राज्यसभा चुनावों के गणित पर तो कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन भविष्य को लेकर कुछ सवाल उठा दिए हैं, और इन सवालों की सबसे बड़ी वजह भाजपा विधायक द्वारा राज्यसभा चुनाव में की गई क्रॉस वोटिंग है जिसके बाद पार्टी में अंदर खाने नाराजगी की झलक दिख रही है।

कौन हैं वो विधायक

राज्यसभा चुनाव में भाजपा के क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक को लेकर खूब चर्चा हो रही है ये राज्य के गुना इलाके के विधायक हैं, जिन्होंने भाजपा के खिलाफ यानी कांग्रेस के पक्ष में अपना वोट दिया है।

राज्य सभा चुनावों में भाजपा ने हाल ही में कांग्रेस से पार्टी में आए कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाया था जो कि गुना से ही आते हैं, जिसके बाद ये संभावनाएं भी जताई जा रही हैं कि गुना इलाके के विधायक उनके आने से नाराज हैं।

इन सबसे इतर विधायक का कहना है कि राज्यसभा चुनावों में हुई क्रॉस वोटिंग उनकी तकनीकी समझ और गलती की वजह से हुई है उनकी ऐसी कोई भी सोच नहीं थी। विधायक अब चाहे कुछ भी बोलें लेकिन राज्यसभा चुनावों में हुई ये चूक भाजपा के लिए आसानी से भुलाई जा सकने वाली बात नहीं है।

सपा-बसपा का भाजपा को साथ

राज्यसभा चुनावों के गणित के अनुसार 206 वोटों में प्रत्येक प्रत्याशी को जीत के लिए 52 वोटों की जरुरत थी, जिसके अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया 56, सुमेर सिंह सोलंकी 55 और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह 57 वोटों के साथ राज्यसभा पहुंच गए वहीं फूल सिंह बरैया को केवल 36 वोट मिले. फूल सिंह बरैया को केवल 36 वोट ही मिले जबकि दो वोट निरस्त कर दिए गए।

राज्यसभा चुनावों की खास बात ये भी रही कि भाजपा का हर मोर्चे पर विरोध करने वाली बसपा और सपा के विधायकों ने भी भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में ही वोट डाला।

राज्यसभा में राजा-महाराजा

कांग्रेस में रहते हुए भी राजा यानी दिग्विजय सिंह इसी फिराक में थे कि किसी भी कीमत पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा की टिकट न मिले, राजा औऱ महाराजा के बीच की ये लड़ाई मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरने की बड़ी वजह बन गई जिसका फायदा उठाते हुए भाजपा ने अंदरखाने सिंधिया को राज्यसभा के टिकट का ऑफर दिया औऱ बड़ी आसानी से एमपी की सरकार गिराकर सत्ता में वापसी कर ली और उस लड़ाई के बावजूद आज राजा-महाराजा राज्यसभा में पहुंच गए हैं पर दोनों के बीच की तल्खियों का खात्मा काफी दूर की कौड़ी दिखता है।

 

 

 

 

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