सुप्रीमकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : हर हाल में होगी पिता की सम्पत्ति में बेटी का आधा हिस्सा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि एक बेटी को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है। अदालत ने कहा कि संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत यह बेटियों का अधिकार है और बेटी हमेशा बेटी रहती है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू महिला को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा।

2005 से पहले भी अगर पिता की मृत्यु हुई होगी, तो भी संपत्ति में मिलेगा बेटी को अधिकार

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में महिलाओं को पिता की संपत्ति में पुरुषों के बराबर अधिकार का हक मिला था। अधिनियम में यह बात कही गयी थी कि कानून लागू होने के बाद यानी कि 2005 के बाद महिलाओं को पिता की संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कहा दिया था कि कानून में ही यह कहा गया है कि इसके लागू होने के बाद महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा।

यानी कि अगर अधिनियम से पहले किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, तो उसकी बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार नहीं मिलगा। लेकिन कोर्ट ने आज यह साफ कर दिया है कि अधिनियम के लागू होने से पहले यानी कि 2005 से पहले भी अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई होगी, तब भी उसकी संपत्ति में बेटियों को समान अधिकार मिलेगा।

क्या है संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1965 में साल 2005 में संशोधन किया गया था। इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने का प्रावधान है। इसके अनुसार कानूनी वारिस होने के चाने पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का। विवाह से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

पैतृक संपत्ति पर ये है कानून

घर में पैतृक संपत्ति होती है। जो पिछली चार पीढ़ियों से पुरुषों को मिलती आई है। कानून के मुताबिक, बेटी हो या बेटा ऐसी प्रॉपर्टी पर दोनों का जन्म से बराबर का अधिकार होता है। कानून के मुताबिक पिता इस तरह की प्रॉपर्टी को अपनी मनमर्जी से किसी को नहीं दे सकता है। या पिता किसी एक के नाम वसीयत नहीं कर सकता है। इसका मतलब यह है क‍ि वह बेटी को उसका हिस्सा देने से वंचित नहीं कर सकता है। जन्म से बेटी का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होता है।

पिता ने खरीदी संपत्ति तो ये है कानून

अगर पिता ने खुद प्रॉपर्टी खरीदी है यानी पिता ने प्लॉट या घर अपने पैसे से खरीदा है तो बेटी का पक्ष कमजोर होता है। इस मामले में पिता किसी को भी अपनी प्रॉपर्टी दे सकता है। बेटी इसमें आपत्ति नहीं कर सकती है।

यदि पिता की मृत्यु हो जाये तो….

अगर पिता की मौत बिना वसीयत छोड़े हो गई तो सभी उत्तराधिकारियों का प्रॉपर्टी पर बराबर अधिकार होगा।

 

 

 

 

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