नई दिल्ली: कोरोना वायरस के साथ-साथ महंगाई की मार झेल रही आम जनता को केंद्र सरकार की तरफ से बीते दिन यानी मंगलवार को खाद्द तेलों (Edible Oil Price) में थोड़ी राहत दी गई है। पिछले साल यानी 2021 के मुकाबले साल 2022 की शुरुआत में खाने के तेल की कीमतों में 5-20 रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। देशभर में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें (Edible Oil Price) वैश्विक बाजार के अनुरूप एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में ऊंची हैं लेकिन अक्टूबर, 2021 के बाद से इनमें गिरावट आ रही है।
उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़े
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ो के अनुसार बीते मंगलवार को सरसों तेल (Mustard Oil) का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 184.59 रुपये प्रति किलो, सोया तेल (Soya Oil) का 148.85 रुपये प्रति किलो, मूंगफली तेल (Groundnut Oil) का मूल्य 180 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) का 162.4 रुपये प्रति किलो और पाम तेल (alm Oil) का 128.5 रुपये प्रति किलो था।
इन खाद्द तेलों की कीमतों (Edible Oil Price) में आई गिरावट
वहीं आंकड़ो में दर्शाया गया है कि, 1 अक्टूबर, 2021 को प्रचलित भावों की तुलना में, मूंगफली और सरसों के तेल की खुदरा कीमतों में 1।50-3 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है, जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के दाम अब 7-8 रुपये प्रति किलोग्राम नीचे आ चुके हैं। मंत्रालय के मुताबिक, अडाणी विल्मर और रुचि इंडस्ट्रीज समेत प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है।
इन कंपनियों ने खाने के तेल की कीमतों (Edible Oil Price) में की कमी
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, जिन अन्य कंपनियों ने खाद्य तेलों की कीमतों (Edible Oil Price) में कमी की है, वे हैं जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया, हैदराबाद, मोदी नैचुरल्स, दिल्ली, गोकुल री-फॉयल एंड सॉल्वेंट, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज और एन के प्रोटीन्स शामिल है।
आयात शुल्क और जमाखोरी पर लगा अंकुश
उनका कहना है, इंटरनेशनल कमोडिटीज की कीमतें अधिक होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी में साथ हस्तक्षेप से खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है। खाद्य तेल की कीमतें एक साल पहले की अवधि की तुलना में अधिक हैं लेकिन अक्टूबर से ये नीचे आ रही हैं। वहीं आयात शुल्क में कमी और जमाखोरी पर अंकुश को स्टॉक की सीमा लगाने जैसे अन्य कदमों से सभी खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों (Edible Oil Price)को कम करने में मदद मिली है और उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
वैश्विक उत्पादन में कमी के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में
आपको बता दें कि दुनियाभर में भारत खाद्य तेलों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है क्योंकि इसका घरेलू उत्पादन इसकी घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है। देश में खाद्य तेलों की खपत का लगभग 56-60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर/लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में हैं। इसलिए खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें आयातित तेलों की कीमतों (Edible Oil Price) से तय होती हैं।