भारत का पड़ोसी देश नेपाल हमेशा से ही एक भरोसेमंद साथी रहा है लेकिन हाल के दिनों में जब से भारत के चीन के साथ रिश्तों में तल्खी आई है जबसे नेपाल भी छोटी छोटी-छोटी बातों पर भारत को आंख दिखाने लगा है लिपुलेख और कालापानी का सीमा विवाद नेपाल की इसी बेतुकी नीति का परिचायक है, लेकिन अब नेपाल के लिए भारत से दुश्मनी महंगी पड़ती दिख रही है जो कि आगे जाकर एक पछतावे में भी बदल सकती है।
बढ़ गईं ज़रूरी समान की कीमतें
नेपाल और भारत दोनों देश ने कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लगा रखा है, लेकिन हाल के दिनों में बिहार के सीतामढ़ी बॉर्डर के आस पास नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स द्वारा की गई फायरिंग के बाद भारत द्वारा बढ़ाई गई सख्ती ने नेपाल की ही मुसीबतों में इजाफा कर दिया है, जिसके चलते अब नेपाल में ज़रूरी सामन की कीमतों में भारी इजाफा होने लगा है।
तेज़ी से बढ़ीं कीमतें
नेपाल के बेबुनियाद और मूर्खतापूर्ण रवैए के बाद सख्त हुई भारत सरकार की नीति के कारण नेपाल में ज़रूरी समानों की कीमतों ने असमान छूना शुरू कर दिया है। 16 नेपाली रुपयों में मिलने वाला नमक अब सौ रुपए में भी मुश्किल से मिल रहा है। यही नहीं चीनी कीमत 70 रुपए से बढ़कर 400 रुपए प्रति किलो हो गई है, यही हाल 1600 से 3500 रुपए तक पहुंचीं काली मिर्च, 250 से 800 रुपए तक पहुंचीं हल्दी की कीमतों का है इन सबके कारण नेपाल में महंगाई आसमान छू रही है।
चीन की शातिर चाल
जानकारों का कहना है कि नेपाल के बदलते रवैए की वजह चीन है चीन की दखलंदाजी और नेपाल से छद्म मित्रता के चलते नेपाल भारत के साथ बेवजह अपने सदियों पुराने रिश्तों को खराब करने लगा है, जिसका मुख्य नुकसान आगे जाकर नेपाल को ही होगा।
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