पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्वामित्व योजना के अंतर्गत प्रॉपर्टी कार्ड वितरण की शुरुआत करेंगे। इस योजना को पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लॉन्च करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को इस योजना को ग्रामीण भारत के लिए ऐतिहासिक कदम बताया है। इस योजना से ग्रामीण इलाकों के लोग किसी भी तरह के ऋण या वित्तीय लाभ लेने के लिए वित्तीय संपत्ति के तौर पर अपनी प्रॉपर्टी या संपत्ति का उपयोग कर सकेंगे। पीएम मोदी ने बताया कि इस योजना के लॉन्च के दौरान एक लाख प्रॉपर्टी धारकों के मोबाइल पर लिंक भेजा जाएगा। इसकी मदद से वे अपना प्रॉपर्टी कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे।
इन राज्यों को मिलेगा लाभ
प्रदेश सरकारों की तरफ से प्रॉपर्टी कार्ड बांटे जाएंगे। छह राज्यों के 763 गांवों के लाभार्थियों को प्रॉपर्टी कार्ड जारी किया जाएगा। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के दो गांव शामिल हैं। महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों के लाभार्थियों को उनके जमीन के कागजात डाउनलोड करने के लिए एसएमएस लिंक एक दिन के भीतर भेज दिया जाएगा।महाराष्ट्र में प्रॉपर्टी कार्ड पर शुल्क रखा गया है, इसलिए वहां इसमें एक महीने तक का समय लग सकता है।पीएमओ ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रॉपर्टी मालिकों को नई तकनीक की मदद से इतने बड़े स्तर पर लाभ दिया जा रहा है।
वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से करेंगे बात
इस योजना की शुरुआत करने के दौरान पीएम मोदी लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात भी करेंगे। स्वामित्व योजना पंचायती राज मंत्रालय की है। इस योजना को पीएम मोदी ने 24 अप्रैल को लॉन्च किया था। इस योजना को साल 2020 से 2024 तक के बीच में चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा। इसके दायरे में करीब 6.62 लाख गांवों को लाया जाएगा।
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क्या है स्वामित्व योजना
केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की ओर से शुरू की गई यह एक खास योजना है। इसके बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल 2020 को घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है। इस योजना का क्रियान्वयन 4 वर्ष में चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा।
इसे 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.60 लाख गांवों को कवर किया जाना है। इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण में 2000-2001 के दौरान कवर किया जाएगा। इस आरंभिक चरण में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे।