Posted inन्यूज़

12 साल की बेबी का 70 साल के बूढ़े से हुआ ब्याह, फिर 15 साल की उम्र में बनीं 3 बच्चों की मां, अब बनीं मशहूर लेखिका

12-Year-Old-Baby-Got-Married-To-70-Year-Old-Man
baby

Baby Halder: दुनियाभर में उन लोगों के सपने कभी अधूरे नहीं रहते, जिनमे संघर्ष करने और हमेशा आगे बढ़ने की चाहत रहती है। जिसने भी मुश्किल हालातों से लड़कर जीना सीखा है, उसे ही दुनिया सलाम ठोंकती है। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपके लिए लाए है। इंसान को जवाब देना आना चाहिए। हर शख्स के पास इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि वो अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के लिए सीना तान कर कह सके कि अब बस, बहुत हुआ। अब और नहीं सहेंगे।

अगर आपको ये सब बातें किताबी लग रही हैं तो आपको उस महिला के बारे में जानना चाहिए जो पढ़ना चाहती थी मगर उसे पढ़ने नहीं दिया गया, जिसकी शादी कम उम्र में करा दी गई जिसे बचपने की उम्र में मां बनना पड़ा, जिसे हर रोज मारा पीटा गया….

12 साल की उम्र में हो गई थी शादी

Baby Halder

बेबी हलदर (Baby Halder), यही नाम है उनका। आज साहित्यिक पट्टी से जुड़े दुनिया भर के लोग उन्हें उनकी रचना ‘आलो आंधारि’ के लिए जानते हैं। उनकी इस किताब का दुनिया की तमाम भाषाओं में अनुवाद हुआ।  लोगों ने उनसे प्रेरणा ली लेकिन इतना सब हासिल करने से पहले उन्हें उतने दुख झेलने पड़े जितने किसी भी अच्छे भले इंसान को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए पर्याप्त होते हैं, लेकिन बेबी ने कभी हार नहीं मानी।

कश्मीर मे हुआ जन्म

Baby Halder

बेबी 1973 में कश्मीर में पैदा हुई। 4 साल की थी तभी उनकी मां उन्हें और उनके शराबी पिता को छोड़ कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गई। बेबी के शराबी पिता एक पूर्व सैनिक और एक ड्राइवर थे। पत्नी के छोड़ जाने के बाद वो बेबी को मुर्शिदाबाद ले आए और यहां से वे लोग पश्चिमी बंगाल के दुर्गापुर में जाकर बस गए। बेबी के पिता ने दूसरी शादी कर ली और बेबी उनके साथ ही दुर्गापुर में पलने बढ़ने लगी।

15 साल की उम्र में बनी 3 बच्चों की माँ

Baby Halder

बेबी पढ़ना चाहती थी लेकिन छठी क्लास के बाद उसकी पढ़ाई रोक दी गई। ये बेबी का 12वां साल लगा था जब उसकी उससे 14 साल बड़े शख्स से कर दी गई। सौतेली मां की ज्यादतियों के बीच बेबी के हालात ऐसे हो गए थे कि वह इतनी कम उम्र में शादी कर के भी खुश थी। 15 साल की उम्र तक वो 3 बच्चों की मां थी।  लगभग हर दिन ही उसे अपने पति की गलियों और मार से जूझना पड़ता था। एक दिन तो तब हद हो गई जब बेबी के पति ने उसे गांव के किसी अन्य पुरुष के साथ बात करते देख लिया। इतनी सी बात के लिए उसने बेबी के सिर पर पत्थर मारकर उसे लहूलुहान कर दिया। जब बातें बर्दाश्त से बाहर होने लगीं, तब साल 1999 में एक अनजान ट्रेन से शौचालय में बैठकर बेबी दिल्ली आ गईं और वहां से गुड़गांव।

मुंशी प्रेमचंद के पोते ने दिखाई राह

Baby Halder

किस्मत ऐसी पलटी की बेबी ने एक प्रोफेसर के घर का दरवाजा खटखटाया। ये प्रोफ़ेसर हिंदी साहित्य के सिरमौर मुंशी प्रेमचंद के पोते प्रबोध कुमार थे और बेबी इनके घर काम मांगने पहुँच गई थीं। बेबी को काम मिल गया और साथ में मिली नई जिंदगी जीने की दिशा। वहां पर रखी हुई किताबों को देखकर बेबी के मन से एक अलग ही आवाज आ रही थी।

प्रबोध कुमार बेबी के मन में किताबों के प्रति पल प्रेम को समझ गए और उन्होंने बेबी को किताब लिखने की प्रेरणा दी. प्रबोध ने कहा की अपने बारे में लिखो और बस लिखती जाओ गलत हुआ तो कोई बात नहीं। बेबी ने लिखना शुरू किया अपने जीवन की सारी कहने इस किताब में लिखकर प्रबोध कुमार के सामने रख दी। किताब बांग्ला में थी जिसका हिंदी अनुवाद प्रबोध कुमार ने करवाया। इसका नाम था आलो आंधारि।

किताब बाजार में लगातार बिकने लगी और धीरे धीरे यह लोगों के दिलों में जगह बना चुकी थी। इसके बाद उर्वशी बुटालि नामक लेखिका ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया और इसे नाम दिया ‘अ लाइफ लेस्स ऑर्डिनरी’। किताब और अधिक लोगों तक पहुंची और दुनिया की कई भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया। और देखते ही देखते एक नौकरानी बन गई दुनिया की सबसे मशहूर लेखिका।

ससुराल वालों के लिए धनलक्ष्मी बनी ये 7 टीवी हसीनाएं, पति को दिलाई खूब दौलत और शोहरत

 

 

Exit mobile version