Posted inन्यूज़

आगरा में VIP बनी ये बिल्ली, सुरक्षा में तैनात 4 गार्ड, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

4 Guards Were Deployed On Duty To-Cat-Protection
4 guards were deployed on duty to-cat-protection

Cat Protection : उत्तर प्रदेश के आगरा में एक बिल्ली और उसके बच्चों की सुरक्षा (Cat Protection) के लिए 4 होमगार्डों की तैनाती का मामला सुर्खियों में है। यह तैनाती पुलिस लाइन में की गई है। जहाँ होमगार्डों को बताया गया कि यह बिल्ली और उसके बच्चे एसपी ट्रैफिक अभिषेक कुमार के है और उन पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी है। लेकिन 12 घंटे की ड्यूटी के बाद होमगार्डों को पता चला कि यह बिल्ली ट्रैफिक अधिकारी की नहीं है।

आगरा में बिल्ली की सुरक्षा के लिए चार होमगार्ड तैनात


जानकारी के अनुसार, 30 जुलाई को आगरा पुलिस लाइन में चार होमगार्ड ड्यूटी पर थे। उन्हें बिल्ली और उसके बच्चों की देखभाल (Cat Protection) करने का निर्देश दिया गया था। कांस्टेबल योगेश कुमार ने बताया कि यह बिल्ली एसपी ट्रैफिक अभिषेक कुमार की है और इसकी देखभाल ज़रूरी है। ताकि इसे कोई जानवर नुकसान न पहुँचाए।

सच्चाई में पता चला बिल्ली का राज

आगरा पुलिस ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि यह बिल्ली (Cat Protection) लावारिस थी और एसपी ट्रैफिक की नहीं थी। पुलिस के मीडिया सेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके बताया कि यह खबर पूरी तरह से अफवाह है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिल्ली कोई पालतू जानवर नहीं थी और होमगार्डों को केवल बिल्ली के बच्चों की सुरक्षा का निर्देश दिया गया था।

आवारा बिल्ली की सुरक्षा के लिए की थी तैनाती

पुलिस ने कहा कि होमगार्डों को गलतफहमी हुई थी और उन्होंने मामले को बढ़ा-चढ़ाकर बताया। दरअसल उन्हें केवल यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि आवारा बिल्ली (Cat Protection) को कोई नुकसान ना पहुंचे। होमगार्डों का कहना है कि उन्हें सुरक्षा ड्यूटी के लिए नियुक्त किया गया था, ना कि बिल्ली की देखभाल के लिए।

एक होमगार्ड ने कहा, “हमारी ड्यूटी निगरानी में है। हमें बिल्ली की देखभाल करने के लिए कहा जा रहा है।” यह घटना उनके लिए अपमानजनक थी क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी ज़िम्मेदारी का दुरुपयोग किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें : बिहार में हुआ अजब-गजब, नाम डॉग बाबू और बाप का नाम कुत्ता बाबू, मां का नाम कुटिया देवी

मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...

Exit mobile version