Married to Lord Shiva : उत्तर प्रदेश के झांसी के मऊरानीपुर इलाके में एक अनोखा विवाह समारोह देखने को मिला। यहां 4 ऐसी शादियाँ हुई जिनमें ना तो फेरे हुए और ना ही दूल्हे थे। फिर भी विवाह (Married to Lord Shiva) संपन्न हुआ। यह पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। इसमें चार लड़कियां थी और चारों ने एक साथ शादी की और दूल्हा भी कोई आम व्यक्ति नहीं था।
झांसी में चार युवतियों ने किया भगवान शिव से विवाह
दरअसल झांसी में 4 युवतियों ने भगवान शिव से विवाह (Married to Lord Shiva) किया। ब्रह्मकुमारी आश्रम द्वारा कुंज बिहारी पैलेस में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल चर्चा का विषय बना, बल्कि भक्ति की एक अनूठी मिसाल भी बना। उन्हें पगड़ी पहनाई गई और नंदी के साथ बारात निकाली गई।
बारात का स्वागत पूरे रीति-रिवाजों के साथ – तिलक, आरती और मंगल ध्वनि के साथ किया गया। इसके बाद, मंच पर चारों युवतियों ने शिवलिंग पर माला चढ़ाई और ब्रह्मचर्य, सेवा, त्याग और समाज कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने जैसे सात वचनों की शपथ ली।
चारों युवतियों ने क्यों किया भवान शिव से विवाह
यह भगवान शिव से अनोखी शादी (Married to Lord Shiva) करने का निर्णय नई पीढ़ी की आध्यात्मिक चेतना और ब्रह्मचर्य आधारित जीवनशैली को दर्शाता है। ब्रह्माकुमारी संस्थान महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने, चरित्र निर्माण और समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है।
ब्रह्माकुमारी आंदोलन का पिछले 50 से अधिक वर्षों में भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है—इसकी विचारधारा आत्म-जागरूकता, सेवा भावना और आंतरिक शांति पर ज़ोर देती है।
क्या है ब्रह्मकुमारी संस्थान?
ब्रह्मकुमारी संस्थान की स्थपना 1936 में वर्तमान पाकिस्तान के सिंध में हुई थी। हालांकि आजादी के बाद इसे राजस्थान के माउंटआबू में स्थापित किया गया था। तभी से यह संस्था मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा संचालित है और दुनिया भर में हज़ारों केंद्रों का संचालन करती है।
महिलाएं इसमें खुद को भगवान की भक्ति में लगाती है और ब्रह्मचर्य का पालन करती है। संस्थान ऐसे विवाह (Married to Lord Shiva) करवाती है जिससे महिलाएं ब्रह्मचार्य का पालन कर भक्ति मार्ग में रहे।
क्या रही स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया?
हालाँकि कुछ आलोचकों के अनुसार, यह एक कठोर आध्यात्मिक मार्ग भी है। जहाँ ब्राह्मणत्व की सीमाएँ है, समर्पण, कौमार्य, जीवन की सादगी आदि। इस अनोखे विवाह (Married to Lord Shiva) को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।
कई लोगों ने इसे आध्यात्मिक क्रांति बताया और लड़कियों की भक्ति और त्याग की प्रशंसा की। यह समाज के लिए एक मिसाल बनकर उभरा है कि कैसे आज की पीढ़ी भी धर्म और सेवा का मार्ग चुन सकती है।
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