Odisha: ओडिशा (Odisha) के बरगढ़ जिले के पदमपुर इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. जहाँ एक 13 वर्षीय आठवीं कक्षा की छात्रा ने खुद को आग लगा ली. जिससे उसकी मौत हो गई. यह घटना गैसीलेट थाना क्षेत्र के फिरिंगीमाल गाँव में हुई. अपने मामा के घर रह रही पीड़िता राखी पूर्णिमा के मौके पर हॉस्टल से घर आई थी. बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों से शिक्षक उसे घर छोड़कर चले गए थे.
छात्रा ने खुद को जलाया
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, ओडिशा (Odisha) के छात्रा ने गाँव के फुटबॉल मैदान में खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली। ग्रामीणों ने उसे गंभीर हालत में बचाया और तुरंत बरगढ़ के सरकारी अस्पताल पहुँचाया. उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें बुर्ला के VIMSAR अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की कोशिश की लेकिन उनकी मौत हो गई.
जांच में जुटी पुलिस
पीड़िता ने अपने बयान में एक अन्य लड़की से अनबन का ज़िक्र किया है, जिसके आधार पर ओडिशा (Odisha) पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तीन थाना प्रभारियों की एक विशेष टीम बनाई है, जो घटना के पीछे के कारणों की तह तक पहुँचने की कोशिश कर रही है. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि छात्रा ने यह कदम स्वयं उठाया या किसी और ने उसे उकसाया।
पिछले महीने ही हुई थी दर्दनाक घटना
12 जुलाई 2025 को, ओडिशा (Odisha) के बालासोर स्थित फकीर मोहन स्वायत्तशासी महाविद्यालय की 20 वर्षीय बी.एड. छात्रा ने कॉलेज परिसर में खुद को आग लगा ली। इस हृदयविदारक घटना के दो दिन बाद, 14 जुलाई को एम्स, भुवनेश्वर में उसकी मृत्यु हो गई. अस्पताल के अनुसार, छात्रा को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था, उसका 95 प्रतिशत शरीर जल गया था और डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा ने अपने विभागाध्यक्ष, समीर कुमार साहू, पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. उसने कॉलेज प्रशासन और स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज की. घटना के बाद साहू और कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना से पूरे ओडिशा में आक्रोश फैल गया. विपक्षी दलों, बीजद और कांग्रेस ने राज्य सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने दोषियों को कड़ी सज़ा देने का आश्वासन दिया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है.