Abdul Malik : बच्चों की शिक्षा सबसे जरूरी है। इसके लिए दोनों की भूमिका अहम है। एक तो माता-पिता, जो अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं और दूसरे शिक्षक जो बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक है जो करोड़ों के लिए प्रेरणा बने हुए है। केरल के मल्लापुरम के पडिझट्टुमारी मुस्लिम लोअर प्राइमरी स्कूल में गणित के शिक्षक 42 वर्षीय अब्दुल मलिक (Abdul Malik) सभी के लिए प्रेरणा बने हुए है।
20 साल से तैरकर स्कूल जाते है केरल के शिक्षक अब्दुल
पिछले 20 सालों से वे तैरकर स्कूल आते-जाते हैं। स्कूल पहुंचने का दूसरा रास्ता भी है। सड़क मार्ग लेकिन सड़क मार्ग से 24 किलोमीटर लंबे सफर में बर्बाद होने वाले समय को बचाने के लिए अब्दुल मलिक (Abdul Malik) रोजाना तैरकर अपने घर से स्कूल जाते हैं और वापस घर आते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने आज तक अपने स्कूल से एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली है। पिछले बीस सालों से अब्दुल मलिक हर रोज़ नदी तैरकर पार करके दूसरे गांव के स्कूल में पढ़ाने जाते हैं।
टायर से तैरकर और सिर पर बैग रखकर जाते है स्कूल
अब्दुल (Abdul Malik) रबर के टायर की मदद से तैरकर और सिर पर बैग रखकर बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाते हैं। अपने गांव के बारे में पूछने पर अब्दुल मलिक कहते हैं, “यह बहुत छोटा सा गांव है। यहां रहने वाले लोग भी साधारण हैं। लेकिन छोटा गांव होने के बावजूद यह बहुत खास है। यहां कई पढ़े-लिखे लोगों का होना इसकी खासियत है। ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद यहां कई शिक्षक रहते हैं। यहां पीढ़ियों से पढ़ाई-लिखाई की परंपरा रही है।”
रोज स्कूल पहुंचने के लिए 2 घंटे तैरकर जाते अब्दुल
मलिक (Abdul Malik) से जब पूछा गया कि 20 साल पहले जब उन्होंने काम शुरू किया था तब वह स्कूल कैसे जाते थे। तो वह कहते हैं, “रास्ते में कोई पुल नहीं है। बस से स्कूल तक 7 किलोमीटर के रास्ते पर सिर्फ़ एक पुल है जो हाल ही में बना है। कहते हैं कि वह घर से जल्दी निकलते थे, ताकि स्कूल के लिए कभी देर ना हो।
10:15 बजे स्कूल पहुँचने के लिए मुझे लगभग 8:30 बजे घर से निकलना पड़ता था। इस तरह उन्हें अपने गाँव से नदी के दूसरी तरफ़ के गाँव तक पहुँचने में दो घंटे लग जाते थे। ज़्यादातर समय बस के इंतज़ार में ही बर्बाद हो जाता था।
शिक्षक के साथ पर्यावरण प्रेमी भी है अब्दुल
इसके अलावा अब्दुल (Abdul Malik) एक बड़े पर्यावरण प्रेमी भी हैं और पिछले कुछ सालों में नदी में बढ़ती गंदगी और प्रदूषण को देखकर उन्हें बहुत दुख होता है। वह अक्सर अपने छात्रों को तैराकी के लिए ले जाते हैं और छात्र भी अपने अद्भुत शिक्षक से बहुत प्यार करते हैं।
नदी के किनारे पहुंचकर वह मिलकर नदी के किनारों और सतह पर तैर रहे प्लास्टिक, कचरे और दूसरी गंदगी को हटाने का काम करते हैं। अब्दुल (Abdul Malik) कहते हैं, “लेकिन हमें अपनी नदियों को प्रदूषण से बचाना चाहिए क्योंकि प्रकृति धरती को ईश्वर का एक अमूल्य उपहार है।”
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