Instagram: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया था, जिसके बाद हंगामा मच गया था. कई पशु प्रेमियों और संगठनों ने कोर्ट के आदेश का विरोध किया था. हालात तब और बिगड़ गए जब दिल्ली में एमसीडी की डॉग कैचिंग टीम कुत्तों को पकड़ने पहुँची, उन पर हमला हुआ और कुत्तों को पिंजरे से छुड़ाया गया.
कई जगहों पर प्रार्थना सभाएँ हुईं और कुत्तों की सुरक्षा की अपील की गई. इस बीच, आइए जानें कि क्या कुत्तों के बाद इंस्टाग्राम (Instagram), फेसबुक और… सरकार ने घोषणा की है?
सोशल मीडिया पर बैन की घोषणा
अगले चार महीनों में ऑस्ट्रेलिया में लागू होने जा रहे एक कानून के तहत, 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, स्नैपचैट, टिकटॉक, इंस्टाग्राम (Instagram), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. संघीय सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों को 10 दिसंबर तक इन नाबालिग उपयोगकर्ताओं के सोशल मीडिया खातों को हटाने के लिए “उचित कदम” उठाने होंगे और आयु सत्यापन सॉफ्टवेयर के माध्यम से उन्हें नए खाते बनाने से रोकना होगा.
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देश भर में गरमागरम बहस
इस फ़ैसले के संभावित फ़ायदे और नुकसान को लेकर देश भर में गरमागरम बहस चल रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के ज़रिए युवा अपनी अभिव्यक्ति करते हैं, अपनी पहचान बनाते हैं और सामाजिक जुड़ाव महसूस करते हैं. ऐसे समाज में जहां पांच में से दो बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं, यह संबंध महत्वपूर्ण हो सकता है. दूसरी ओर, सोशल मीडिया की लत और इसका आनंद लेने से चूक जाने का डर बच्चों को इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करता है.
सरकार ने यह कदम क्यों उठाया?
माता-पिता को अभी से अपने बच्चों से इस विषय पर बात करनी चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि यह प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है और इसका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. धीरे-धीरे सोशल मीडिया से दूरी बनाएं – स्क्रीन टाइम धीरे-धीरे कम करने से बच्चों को बदलाव के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी. उन्हें हटाने के बजाय विकल्प प्रदान करें – सोशल मीडिया के विकल्पों में समूह गतिविधियाँ, समूह खेल, रचनात्मक गतिविधियाँ जैसे कला, संगीत, शिल्प या स्वयंसेवी कार्य शामिल हो सकते हैं.
ऑफ़लाइन संबंधों को बढ़ावा दें – बच्चों को सोशल मीडिया से परे समुदाय में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. खुद एक उदाहरण बनें – बच्चे अपने माता-पिता के व्यवहार को देखकर सीखते हैं. माता-पिता को भी स्क्रीन पर समय सीमित रखना चाहिए और आमने-सामने के रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए।