Robot: विज्ञान और तकनीक की मदद से ऐसी चीज़ें आम होती जा रही हैं जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन सच तो यह है कि चीन अब एक ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है जिससे रोबोट (Robot) मानव शिशु पैदा कर सकेंगे.
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन अब एक ऐसा गर्भाधान रोबोट विकसित कर रहा है जिसके ज़रिए कृत्रिम गर्भ में भ्रूण विकसित होगा. इस तकनीक पर काफी समय से चर्चा चल रही थी लेकिन चीन अगले साल तक इसे दुनिया के सामने पेश कर देगा.
इस प्रोजेक्ट पर चल रहा है काम
More reason not to come back ‘next time’
Chinas Kaiwa Technology has developed a robot with an artificial womb inside a robotic abdominal module that could carry a full 10-month pregnancy and even give birth to a live baby. pic.twitter.com/ysvoHMofKi
— SynCronus (@syncronus) August 16, 2025
चीन के ग्वांगझू स्थित काइवा टेक्नोलॉजी इस अनूठी परियोजना पर काम कर रही है. इस टीम का नेतृत्व सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ. झांग किफेंग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब यह तकनीक लगभग पूरी हो चुकी है, बस इसे रोबोट (Robot) के पेट में प्रत्यारोपित करने की ज़रूरत है, ताकि इंसान और रोबोट मिलकर बच्चे को जन्म दे सकें और भ्रूण रोबोट के अंदर विकसित हो सके. हालाँकि, यह प्रक्रिया कैसे काम करेगी, इस बारे में अभी ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है.
जानें कैसे करेगा काम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तकनीक से कृत्रिम गर्भ के ज़रिए बच्चे का विकास होगा, जहाँ एक ट्यूब के ज़रिए भ्रूण को पोषण दिया जाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस तकनीक से उन दंपत्तियों को फ़ायदा होगा जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं. इस रोबोट (Robot) के माध्यम से वे महिलाएं भी मां बन सकेंगी जो प्राकृतिक रूप से गर्भवती नहीं होना चाहतीं.
कब तक होगी लॉन्च?
इस अनोखी मशीन का प्रोटोटाइप 2026 में लॉन्च किया जा सकता है और इसकी कीमत लगभग 1 लाख युआन यानी लगभग ₹11.5 लाख रुपये बताई जा रही है. इस तकनीक ने नैतिक और भावनात्मक बहस को भी जन्म दिया है.
का कहना है कि मां और बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन, अंडों और शुक्राणुओं के स्रोत तथा बच्चे पर इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं. आपको बता दें कि यह जेस्टेशन रोबोट (Robot) वर्ष 2017 के उस प्रयोग पर आधारित है जिसमें वैज्ञानिकों ने अधूरे विकसित मेमनों को बायोबैग में पाला था।