Afganistan: तालिबान सरकार की तानाशाही कम होने का नाम नहीं ले रही है। वे आए दिन कोई न कोई अजीबो-गरीब फरमान जारी करते रहते है। हाल ही में तालिबानी सरकार ने एक और तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। आपको बता दें, अफगानिस्तान (Afganistan) में उन्होंने महिलाओं के साथ पुरुषों के लिए भी यह खेल बैन कर दिया है। इसी कड़ी में आइए जानते है क्या है पूरा मामला…..
तालिबानी सरकार ने इस खेल पर लगाया बैन
दरअसल अफगानिस्तान (Afganistan) में तालिबान सरकार ने शतरंज के खेल पर अगली सूचना तक बैन लगा दिया है। तालिबान को डर है कि यह खेल जुए खेलने का जरिया बन गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि चेस के खेल को अनिश्चित काल के लिए बैन कर दिया गया है।
पहले इस बात की जांच की जाएगी कि इस्लामी कानून के साथ इसे खेलना सही है या नहीं, उसी के आधार पर इसे हमेशा के लिए बैन लगाया जाएगा या फिर बैन हटा लिया जाएगा।
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महिलाओं के लिए बैन है हर खेल
आपको बता दें, अफगानिस्तान (Afganistan) में यह पहला ऐसा खेल नहीं है जिसपर तालिबान ने बैन लगाया है। इससे पहले भी उन्होंने कई तुगलकी फरमान जारी कर कई खेलों को बैन किया है। सबसे खराब हालत तो यहां कि महिलाओं की है। उन्हें किसी भी तरह के खेल में भाग लेने की इजाजत नहीं है, उनके लिए तो हर गेम बैन है। अब महिलाओं के बाद तालिबानी सरकार ने चेस का खेल पुरुषों के लिए भी बैन कर दिया है।
मजहबी नजरिए से होगा विचार
तालिबान के खेल निदेशालय के प्रवक्ता अटल मशवानी ने एक बयान में कहा कि यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक मजहबी अधिकारी यह तय नहीं कर लेते कि शतरंज इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार सही है या नहीं।
उन्होंने साफ कहा, “जब तक इस पर मजहबी नजरिए से विचार नहीं हो जाता, शतरंज का खेल अफगानिस्तान (Afganistan) में पूरी तरीके से निलंबित रहेगा।” काबुल जैसे शहरों में, जहां लोग दिन भर की भागदौड़ और तनाव के बीच कुछ समय दिमागी खेलों में लगाते थे, वहां इस फैसले का सीधा असर पड़ा है।
लगातार लागू कर रहे कट्टरपंथी नियम
तालिबान सरकार ने 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से लगातार कट्टरपंथी नियम लागू किए है। उन्होंने अफगानिस्तान (Afganistan) में ऐसे कानून और नियम लागू किए है जो इस्लामी कानून के प्रति उसके चरमपंथी सोच को दर्शाते है।
इससे पहले उन्होंने पेशेवर मिक्स्ड मार्शल आर्ट प्रतियोगिताओं पर भी प्रतिबंध लगाया था। उनका तर्क था कि यह खेल बहुत हिंसक है और शरिया के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।
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