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दुकान फुटपाथ पर, सपना आसमान में! मोबाइल कवर बेचने वाले लड़के ने NEET 2025 किया क्रैक 

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NEET 2025 : कहते हैं जहां सपने बुलंद हों फिर वहां कुछ भी मुसीबत मायने नहीं रखती है। झारखंड के जमशेदपुर के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले रोहित कुमार ने नीट (NEET 2025) को पास कर इस बात को सच साबित कर दिखाया।

अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने साबित कर दिया कि भले ही आपके जीवन में लाख परेशानियां हों, लेकिन अगर आपके अंदर कुछ करने की चाह और सपना हो तो उन्हें पूरा जरुर कर सकते है।

फोन कवर बेचने वाले ने पास की NEET 2025

दरअसल पिछले दिनों ही NEET 2025 (NEET 2025) का परिणाम घोषित हुआ है। उसमें कई उम्मीदवारों ने बाजी मारी है। लेकिन सबस एज्यादा चर्चा रोहित कुमार की है। जिन्होंने नीट में जीत हासिल कर सभी को चौंका दिया है। बता दें रोहित सड़क किनारे ठेले पर फोन कवर बेचते हैं। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक (AIR) 12,484 हासिल की है। रोहित ने नीट यूजी परीक्षा 2025 में 720 में से 549 अंक हासिल किए हैं। अब वह झारखंड के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने की कोशिश कर रहे हैं।

कैसा रहा रोहित कुमार का अभी तक का सफर?

रोहित कुमार ने नीट यूजी परीक्षा 2025 (NEET 2025) पास कर ली है। हालांकि इससे पहले वे दो बार नीट की परीक्षा दे चुके थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है। रोहित का सफर आसान नहीं रहा।

उन्होंने बताया कि उनके पिता स्थानीय सब्जी मंडी में काम करते थे और 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोहित ने नीट की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कॉलेज छोड़ दिया। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने एक मेडिकल स्टोर पर काम किया, जहां से उन्हें चिकित्सा में करियर बनाने की प्रेरणा मिली।

मेडिकल स्टोर पर भी किया काम

मीडिया से बात करते हुए रोहित ने अपनी दिनचर्या के बारे में बताया है। उन्होंने बताया कि, “मैं पूरे दिन फोन कवर बेचने का काम करता था और सुबह 3 बजे तक पढ़ाई करता था। फिर मैं सुबह 7 बजे उठता और काम पर वापस चला जाता।” महज 800 रुपये की फीस वाले स्कूल से 10वीं पास करने के बाद उन्होंने कोरोना काल में मेडिकल स्टोर पर काम करना शुरू कर दिया। यहीं से उनके मन में डॉक्टर बनने का सपना आया। भाई से नीट के बारे में जानकारी मिली।

पहले भी कर चुके है परीक्षा में प्रयास

नीट (NEET 2025) के पहले प्रयास में 485 अंक मिले, लेकिन रोहित ने हार नहीं मानी। उन्होंने फिजिक्सवाला के ‘यकीन 2.0’ बैच में दाखिला लिया और मुफ्त में पढ़ाई शुरू कर दी। वह स्थानीय लाइब्रेरी में रोजाना 14 घंटे पढ़ाई करते थे। जितना भी जैसा भी उन्हें समय मिलता था वह पढ़ाई में ही अपना समय लगाते थे। उन्हें कैसे भी करके बस इस परीक्षा को पास करने का ही जुनून सवार था।

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