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‘ब्राह्मणों का आना मना है!’ गांव के बाहर टांगा जातिवाद का ज़हर, भाईचारा तोड़ने की खुली साज़िश

'Brahmins Are Not Allowed To Enter!' Poison Of Casteism Hung Outside The Village
'Brahmins are not allowed to enter!' Poison of casteism hung outside the village

Brahmins: ब्राह्मण (Brahmins) हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था का एक हिस्सा है, जिसे प्राचीन ग्रंथों में उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो ‘ब्रह्म’ को जानता है या ‘ब्रह्म’ में लीन है. यह शब्द न केवल जाति को दर्शाता है, बल्कि किसी परंपरा के विशेषज्ञ, रक्षक या मार्गदर्शक को भी दर्शाता है. जहां लोग ब्राह्मणों को पवित्र मानते हैं, उन्हें हर पूजा-पाठ में शामिल करते हैं क्योंकि उनके बिना पूजा अधूरी रहती है. वहीं इस गांव के लोग ब्राह्मणों को आने से मना कर रहे हैं.

इस गांव में भाईचारा तोड़ने की साजिश

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथा वाचक मुकुट मणि सिंह के साथ हुई बदसलूकी की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. मुकुट मणि को न केवल कथा कहने से रोका गया, बल्कि अपमानित करते हुए उनका सिर मुंडवाया गया और बुरी तरह पीटा गया. अब इस घटना की गूंज बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव तक पहुंच चुकी है. गांव में ब्राह्मणों (Brahmins) के पूजा-पाठ कराने पर रोक लगा दी गई है.

टांगा जातिवाद का ज़हर

पुलिस की टीम ने गांव पहुंचकर इस मामले की पड़ताल की तो ग्रामीणों ने बताया कि यह विवाद उत्तर प्रदेश के इटावा में 21 जून 2025 को एक गैर-ब्राह्मण (Brahmins) कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी की घटना के विवाद सामने आया. इसके जवाब में टिकुलिया गांव के कुछ युवकों ने, कथित तौर पर एक स्थानीय यूट्यूबर संदीप यादव के उकसावे पर बिजली के खंभों और सड़क किनारे बोर्डों पर “ब्राह्मणों का पूजा-पाठ करना सख्त मना है” जैसे स्लोगन लिख दिए.आदापुर थाना के SHO धर्मवीर चौधरी ने बताया कि पुलिस ने इन पोस्टरों को तत्काल हटवा दिया और यूट्यूबर संदीप यादव को इस घटना का मुख्य सूत्रधार माना है.

गांव के निवासी ने क्या कहा?

गांव के सरपंच और बुजुर्गों ने दावा किया कि उन्हें इस नारे के बारे में जानकारी नहीं थी. सरपंच ने कहा, हमें मीडिया के जरिए इसकी खबर मिली। गांव वाले इससे सहमत नहीं थे. कुछ युवकों ने अपनी मर्जी से यह हरकत की है. वहीं गांव के एक निवासी ने कहा, हम सभी समुदायों का सम्मान करते हैं और यह किसी समुदाय का फैसला नहीं था. ग्रामीणों ने इसे कुछ युवकों की शरारत बताया और शांति बनाए रखने की अपील की. इस घटना को बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत तनाव भड़काने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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