Bhavesh Purohit : आयुर्वेद में गौमूत्र को अमृत से कम नहीं माना जाता है. जो कई जटिल और असाध्य समस्याओं को जड़ से ठीक करने के लिए जाना जाता है. इसी सिद्धांत से प्रेरित होकर बनासकांठा के भाभर तालुका के अबला गांव के एक गाय प्रेमी ने दुनिया का पहला गौमूत्र नाम की स्थापना की है. ‘धेनुप्रसाद एग्रोवेट’ नाम से इस प्लांट की स्थापना 7 साल पहले भावेश पुरोहित (Bhavesh Purohit) द्वारा की गई थी. शुरुआत में आर्थिक दबाव के कारण देशी किसानों को बढ़ावा देने के लिए भावेश ने केवल प्लांट की स्थापना नहीं की, बल्कि पशुपालकों के बीच जागरूकता को भी बढ़ावा दिया.
गुजरात के Bhavesh Purohit ने किया अनोखा काम
गुजरात के बनासकांठा जिले के भावेश पुरोहित (Bhavesh Purohit) ने ओरगेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनूठी पहल की. उन्होंने ‘धेनु प्रसाद’ नाम की कंपनी शुरू की है. यह गोमूत्र से प्राकृतिक खाद निर्मित करती है. भावेश ने 2017 में इस कंपनी की नींव रखी थी. आज यह कंपनी 70 लाख रुपए सालाना कमाई कर रही है. आइए यहां जानते हैं भावेश की सफलता के सफर के बारे में. भावेश गुजरात के बनासकांठा जिले में रहने वाले हैं. उन्होंने एक कॉलेज से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री हासिल कि हैं.
Bhavesh Purohit ने खोली पहली गौमूत्र डेयरी
भावेश (Bhavesh Purohit) ने बताया कि एक दिन, मेरे पिता ने कहा कि किसानों की संख्या बढ़ रही है. हालाँकि अभी भी किसान बचे हुए थे, लेकिन हम एक और इंजीनियर बनना चाहते थे. तभी भावेश को इस बात का विचाय आया कि किसानों ने इन्हें क्यों छोड़ा. और ये बात साफ़ हो गई. 2017 में किसान जैविक खेती के बारे में बहुत सी बातें नहीं थीं.
परिणाम स्वरूप, वे देसी उपकरण से दूर हो जा रहे थे और हम उनका सही उपयोग नहीं कर पा रहे थे. भावेश (Bhavesh Purohit) कहते हैं, ‘मुझे पता था कि इस समस्या का समाधान केवल आर्थिक रूप से शामिल किया जा सकता है. किसानों को इन उत्पादों को खुद ही पालना और बड़ा करना चाहिए.’
हर महीने हजारों लीटर गौमूत्र होता है इकट्ठा
गाय भारत में सबसे ज्यादा हम युवाओं को अधिक से अधिक स्वस्थ्य जीवन जीने में मदद कर सकते हैं. आज हर रोज करीब 1000 लीटर गौमूत्र की खरीददारी हो रही है. जिले के 700 से अधिक किसान इस समूह को गौमूत्र बेचते हैं, बदले में उन्हें 5 रुपये प्रति लीटर की दर से भुगतान करना होता है. भावेश (Bhavesh Purohit) ने बताया प्रत्येक देशी गाय प्रतिदिन लगभग 15 से 16 किलोलीटर गोमूत्र पैदा करती है. जिससे पशुपालक प्रतिदिन 75 रुपये तक कमा लेते हैं. अकेले भाभर तालुका के कई किसान परिवारों से हर महीने औसतन 20,000 लीटर गोमूत्र की खरीद होती है.
हर लीटर गौमूत्र पर किसानों को मिलते हैं पांच रुपए
औसत कीमत 1 लाख रुपए है. इस पहल का उद्देश्य किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देना और देशी वन्यजीवों को बढ़ावा देना है. औद्योगिक उत्पाद गोमूत्र का मूल्य जैविक तरल पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है. अगले छह महीनों में 10,000 किलोलीटर गौमूत्र में सक्षम एक संयंत्र स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है. गुजरात के बनासकांठा जिले के भाभर में ‘धेनु प्रसाद’ केमिकल उद्योगों की जगह गोमूत्र से निर्मित प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जाता है. भावेश (Bhavesh Purohit) को अपने पिता से प्रेरणा मिली थी.
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