Bhullu Sahni: सड़क किनारे भूजा बेचकर गुज़ारा करने वाला भुल्लू साहनी (Bhullu Sahni) जन्म से ही अंधा है. वह अपने सामने बैठे लोगों को देख नहीं सकता, फिर भी उसके पास एक अद्भुत शक्ति है. समस्तीपुर के भुल्लू साहनी ने यह साबित कर दिया कि असली बहादुरी आँखों से देखने में नहीं, बल्कि दिल में साहस और हिम्मत रखने में है.
जन्म से ही आँखों की रोशनी खो चुके भुल्लू ने एक हादसे के वक्त 14 लोगों की जान बचाकर सबको हैरान कर दिया.
हादसे के वक्त दिखाया जज़्बा
गांव के पास अचानक नाव पलटने से लोग गंगा नदी में डूबने लगे. उस वक्त मौके पर मौजूद भुल्लू साहनी (Bhullu Sahni) ने बिना सोचे-समझे नदी में छलांग लगा दी.अंधकार से जूझते हुए भी उन्होंने अपनी सूझबूझ और अनुभव से एक-एक कर 14 लोगों को किनारे तक पहुंचाया.
उनकी इस कोशिश से पूरा गांव गवाही दे रहा है कि असली नायक वही होते हैं, जो दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते।
गांववालों की आँखों में हीरो
गांव के लोगों ने भुल्लू साहनी (Bhullu Sahni) को भगवान का रूप मान लिया। बचाए गए लोगों के परिवार वालों की आँखों में आँसू और चेहरे पर कृतज्ञता साफ झलक रही थी. गांववालों का कहना है कि अगर भुल्लू साहनी न होते, तो आज गांव में 14 घर मातम में डूब जाते. उनकी बहादुरी ने पूरे इलाके को गौरवान्वित कर दिया है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से भुल्लू साहनी को सम्मानित करने की माँग की है.
हिम्मत ही सबसे बड़ी ताकत
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के नायक समाज के लिए प्रेरणा हैं और इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए. भुल्लू साहनी (Bhullu Sahni) की यह कहानी इस बात की मिसाल है कि शारीरिक कमी इंसान की हिम्मत को कभी कम नहीं कर सकती। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्चा साहस किसी भी अंधेरे को मात दे सकता है।