Posted inन्यूज़

माँ-बाप की गरीबी को चीरते हुए, अंडे बेचने वाले का बेटा बना जज, 120वीं रैंक के साथ BPSC 32वीं परीक्षा में पाई सफलता

Adarsh Kumar

Adarsh Kumar : कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से मेहनत करे तो उसे सफलता जरूर मिलती है। फिर चाहे वो अमीर हो या गरीब। आपने ऐसे कई लोगों की कहानियां सुनी या पढ़ी होंगी जो बेहद गरीब परिवारों से आते हैं और अब उन्होंने बिजनेस में नाम कमाया है या फिर किसी बड़े सरकारी पद पर बैठे हैं। ऐसे ही एक कहानी आज हम आपको बताने जा रहे है जो काफी संघर्षपूर्ण रही और उन्होंने अपने दम पर सफलता हासिल की है। इस कहानी (Adarsh Kumar) से आज के कईं युवा प्रेरणा ले सकते हैं और अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर सकते हैं।

अंडे बेचने वाले का बेटा Adarsh Kumar बना जज

हाल ही में बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा के नतीजे घोषित हुए हैं। इस परीक्षा के रिजल्ट में अंडा बेचने वाले के बेटे आदर्श कुमार (Adarsh Kumar) ने परचम लहराते हुए कमाल कर दिया है। औरंगाबाद के आदर्श कुमार ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) कैटेगरी में 12वीं की मेरिट हासिल की है। आदर्श कुमार के पिता विजय साव ठेले पर अंडे बेचते थे। आदर्श (Adarsh Kumar) ने न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कि है।

हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि उनके लिए इस सफलता की यह कहानी गढ़ना कितना कठिन रहा होगा। एक तरफ पिता हैं जिन पर जिम्मेदारी का बोझ है तो दूसरी तरफ बेटा है जो अपने पिता के त्याग का ऋणी है।

आदर्श कुमार ने BPSC एग्जाम में पाई 120वीं रैंक

आदर्श कुमार (Adarsh Kumar) ने बोकारो के भंडारीदाह डीएवी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की है। आदर्श ने पहले प्रयास में ही बीपीएससी 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा का किला फतह कर लिया। या दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने पहले प्रयास में ही बीपीएससी 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर ली। आदर्श कुमार ने दिल्ली में रहकर बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की है। उन्होंने इस परीक्षा में 120 वीं रैंक हासिल कि थी।

माता-पिता ने कर्ज लेकर करवाई आदर्श की पढ़ाई

आदर्श (Adarsh Kumar) का परिवार बेहद खुश है, यह कहानी उन लोगों के लिए भी है जिन्हें लगता है कि आर्थिक स्थिति किसी व्यक्ति की सफलता में बाधा बन सकती है। आदर्श के माता-पिता ने उनको पढ़ाने के लिए ऋण लिया था। इसके साथ ही उन्होंने रात-दिन मेहनत कर अपने बेटे को पढ़ाया था। आदर्श की पढ़ाई को लेकर उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था। आदर्श कुमार ने अपने पहले प्रयास में ही परीक्षा पास कर ली है। उनके लिए यह सफलता हासिल करना किसी सपने के पूरा होने जैसा था।

पिता को भगवान मानते हैं आदर्श कुमार

मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने (Adarsh Kumar) कहा कि उनके पिता उनके लिए भगवान हैं। आदर्श कुमार ने कहा कि आज वह जो कुछ भी हैं, सिर्फ और सिर्फ अपने पिता के त्याग और बलिदान की बदौलत हैं। माता-पिता की मेहनत देखकर उनमें भी मेहनत करने की इच्छा जागी। आदर्श की सफलता से एक बात तो साफ है कि अगर इंसान कुछ करने की ठान ले और दृढ़ निश्चय कर ले तो सफलता उससे दूर नहीं रह सकती।

आदर्श कुमार की सफलता इसका जीता जागता उदाहरण है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बावजूद उन्होंने (Adarsh Kumar) हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार मेहनत करते रहे।

यह भी पढ़ें : टीम इंडिया में दादागिरी झाड़ रहे हैं गौतम गंभीर, 4 टेस्ट मैचों से इस टैलेंटेड खिलाड़ी को किया बाहर

Exit mobile version