CISF: दुनिया के हर पिता का सपना होता है कि उसकी बेटियाँ उसका गौरव बनें. इसके लिए वह उन्हें अपने हर सपने को पूरा करने के लिए ऊँची उड़ान भरने की ताकत देता है, ताकि वे बिना किसी डर के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऊँची उड़ान भर सकें. तो चलिए इसी बीच अब जानते हैं कि कैसे इस मजदूर की बेटी ने कड़ी मेहनत से अपना लक्ष्य हासिल किया और सीआईएसएफ (CISF) में हेड कांस्टेबल बनी?
पापा दिहाड़ी पर करते काम
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की 21 वर्षीय खुशी, जो एक मजदूर पिता और गृहिणी मां की बेटी है, ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ (CISF) में हेड कांस्टेबल के पद पर चयनित होकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. कठिन आर्थिक परिस्थितियों का सामना करते हुए, उन्होंने कक्षा 9 से वुशु और आत्मरक्षा सीखी, और खेलो इंडिया और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कई पदक जीते. ख़ुशी ने बचपन से ही तय कर लिया था कि परिस्थितियाँ उसकी मंजिल तय नहीं करेंगी.
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बेटी ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
कक्षा 9 से ही उन्होंने अपने कार्यक्रमों के ज़रिए आत्मरक्षा और वुशू सीखना शुरू कर दिया था. रोज़ाना दूर-दराज़ के इलाकों में साइकिल चलाकर प्रशिक्षण लेना, अपनी पढ़ाई का प्रबंधन करना और प्रतियोगिताओं में भाग लेना—यह सब आसान नहीं था. आज वही लड़की सीआईएसएफ (CISF) में हेड कांस्टेबल बन गई है. उसकी कहानी साबित करती है कि संघर्ष कितना भी बड़ा क्यों न हो, हिम्मत और लगन उससे कहीं ज़्यादा मज़बूत होते हैं.
जुनून के सामने कोई भी बाधा बड़ी नहीं
ख़ुशी की यह कहानी सिर्फ़ उसकी अपनी जीत नहीं है, बल्कि उन सभी भारतीय बेटियों के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी सपने देखती हैं और उन्हें पूरा करने का जुनून रखती हैं. उनकी सफलता ग्रामीण भारत की बेटियों को सिखाती है कि साहस और जुनून के सामने कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती. अपनी बेटियों को सीआईएसएफ (CISF) में हेड कांस्टेबल बनते देख उनके माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू हैं।