Doctors: नशे की लत जिंदगी को बर्बाद कर देती है. इसकी लत लोगों को बुरी हालत में छोड़ देती है. कुछ लोग खुद ही नशे की लत छोड़ देते हैं. बीएमएचआरसी यानी भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों (Doctors) ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है.
चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता का परिचय देते हुए उन्होंने जबड़े के कैंसर से पीड़ित एक मरीज की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की. आइये आगे जानते हैं कि भोपाल के डॉक्टरों ने कैसे इस व्यक्ति को नई जिंदगी दी.
Doctors ने मरीज को दी नई जिंदगी
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों (Doctors) ने जबड़े के कैंसर से पीड़ित एक मरीज की जटिल सर्जरी की है. सीहोर का 42 वर्षीय मरीज, जो सालों से गुटखा खाने का आदी था, उसका मुंह पूरी तरह बंद हो गया था और कैंसर जबड़े की हड्डी तक फैल गया था.
मरीज की हृदय की गंभीर स्थिति और कैंसर की एडवांस्ड स्टेज के बावजूद, बीएमएचआरसी की सर्जरी टीम ने न केवल ऑपरेशन किया, बल्कि छाती की मांसपेशियों से नया जबड़ा बनाकर उसे जीवन भी दिया। यह सर्जरी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निःशुल्क की गई.
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दस सालों से गुटखा की लत
बता दें कि यह मरीज पिछले दस सालों से गुटखा की लत से पीड़ित था. करीब डेढ़ साल पहले उसे मुंह खोलने में दिक्कत और गर्दन में गांठ की शिकायत हुई थी. शुरुआती इलाज के लिए वह एक निजी अस्पताल गया, जहां रेडियोथेरेपी से गर्दन में गांठ का इलाज किया गया, लेकिन बीमारी की मूल वजह का पता नहीं चल सका.
बीमारी बढ़ती गई और आखिरकार मरीज बीएमएचआरसी पहुंचा. यहां कैंसर सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोनवीर गौतम और उनकी टीम ने एंडोस्कोपिक बायोप्सी की.
छाती की मांसपेशियों का उपयोग
जांच में जबड़े के कैंसर की पुष्टि हुई. इसके बाद, पीईटी स्कैन से पता चला कि कैंसर जबड़े की हड्डी में गहराई तक फैल चुका था. मरीज पहले से ही दिल की गंभीर समस्या से पीड़ित था और उसका दिल केवल 40 प्रतिशत काम कर रहा था, जिससे सर्जरी की जटिलता और जोखिम कई गुना बढ़ गया.
इन सभी चुनौतियों के बावजूद, डॉ. गौतम के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने उच्च स्तरीय शल्य चिकित्सा तकनीक का उपयोग करते हुए मरीज के कैंसरग्रस्त जबड़े को हटाकर छाती की मांसपेशियों का उपयोग कर नया जबड़ा तैयार किया।
सर्जरी करने वाली टीम
इस सर्जरी को करने वाले डॉक्टर्स (Doctors) में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोनवीर गौतम, एनेस्थिसियोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिल्पा तिवारी, सीनियर रेजिडेंट डॉ. ऋषि के. अथिया, जूनियर रेजिडेंट डॉ. आशीष वैद्य शामिल थे.
बीएमएचएचआरसी के प्रभारी ने क्या कहा?
इस बारे में बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव का कहना है कि बीएमएचआरसी में हमारा निरंतर प्रयास गंभीर और जटिल बीमारियों के इलाज में नई ऊंचाइयों को छूने का है. यह ऑपरेशन हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों की दक्षता, प्रतिबद्धता और समर्पण का प्रमाण है. आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत मरीजों को उच्च स्तरीय एवं निःशुल्क उपचार मिल रहा है, यह अत्यंत प्रसन्नता एवं संतोष की बात है।
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