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भारत के ये 8 गांव, जहां 300 सालों से नहीं मनाई गई है होली, वजह है डरावनी

Holi Festival

Holi Festival: रंगों और खुशियों का त्योहार होली (Holi Festival) पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों की बौछार नहीं है। बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत और सामाजिक एकता का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे पर रंग लगाकर, संगीत और नृत्य के साथ इस त्योहार को खुशी के साथ मनाते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहाँ होली नहीं खेली जाती है। ये जगहें किसी पौराणिक कहानी, ऐतिहासिक घटना या सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण इस रंग-बिरंगे त्योहार (Holi Festival) से दूर रहती हैं। आइए जानते हैं इन रहस्यमयी जगहों के बारे में।

उत्तराखंड के 125 गांव नहीं मनाते होली

कुमाऊँ के उत्तरी भाग में और खासकर मुनस्यारी शहर के पास और पिथौरागढ़ जिले के तल्ला दारमा, तल्ला जोहार क्षेत्र और बागेश्वर जिले के मल्ला दानपुर के 125 से अधिक गाँवों में लोग होली का त्योहार (Holi Festival) नहीं मनाते हैं। इन गाँवों के लोगों का मानना ​​है कि अगर वे होली खेलेंगे तो उनके कुलदेवता नाराज़ हो सकते हैं और इससे प्राकृतिक आपदाएँ आ सकती हैं।

बागेश्वर के सामा क्षेत्र के एक निवासी ने बताया कि सामा क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में ऐसी मान्यता है कि अगर ग्रामीण होली खेलते हैं तो उनके कुलदेवता उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के रूप में दंड देते हैं। इसी कारण लोग इस त्योहार से परहेज करते हैं।

ब्रज क्षेत्र में भी नहीं मनाते होली

मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में होली (Holi Festival) बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन ब्रज के कुछ गांवों में इसे नहीं खेला जाता। माना जाता है कि किसी कारणवश राधा रानी नाराज हो गई थीं और जब किसी ने उन पर रंग लगाने की कोशिश की तो उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। तब से इन गांवों में होली नहीं मनाई जाती।

तमिनाडु में भी नहीं खेली जाती होली

तमिलनाडु का “धर्मपुरी” क्षेत्र है जहां पर देवी की नाराजगी के चलते होली (Holi Festival) नहीं मनाई जाती है। तमिलनाडु के धर्मपुरी क्षेत्र के कुछ गांवों में मान्यता है कि एक समय यहां के लोगों ने होली के दिन देवी का अनादर किया था। इससे देवी नाराज हो गईं और तब से यहां होली नहीं मनाई जाती। अगर होली खेली गई तो कुछ अनहोनी होने की आशंका है।

कोंकण में भी नहीं खेली है होली

महाराष्ट्र का “कोंकण” क्षेत्र में होली नहीं खेली जाती है। महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के कुछ गांवों में मान्यता है कि होली (Holi Festival) इसलिए नहीं मनाई जाती, क्योंकि इस दिन कोई प्राकृतिक आपदा आई थी। जिससे गांव को भारी नुकसान हुआ था। तब से लोग इसे अपशकुन मानते हैं और होली से परहेज करते हैं।

झारखंड में नहीं मनाई जाती होली

झारखंड में दुर्गापुर नाम का एक गांव है। यहां करीब 100 सालों से होली नहीं खेली गई है। मान्यता है कि यहां के राजा के बेटे की मौत होली के दिन हुई थी और अगले साल राजा की भी मौत होली (Holi Festival) के दिन ही हुई थी। अपनी आखिरी सांस लेते समय राजा ने गांव के लोगों से कहा कि गांव के लोग होली ना मनाएं। तब से इस गांव के लोगों ने होली मनाना बंद कर दिया।

गुजरात में नहीं मनाई जाती होली

गुजरात में रामसन नाम की एक जगह है जहां 200 सालों से भी ज्यादा समय से होली (Holi Festival) का त्योहार नहीं मनाया गया है। माना जाता है कि 200 साल पहले होलिका दहन के दौरान इस गांव में आग लग गई थी और कई घर जल गए थे जिसकी वजह से लोगों ने तब से होली मनाना बंद कर दिया। ऐसा भी माना जाता है कि किसी वजह से संत इस गांव के लोगों से नाराज हो गए थे और उन्होंने श्राप दिया था कि अगर इस गांव में होलिका (Holi Festival) दहन हुआ तो पूरा गांव आग की चपेट में आ जाएगा।

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