India-Pakistan: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान लगातार भारत पर हमला करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन भारतीय सेना ने उनकी हर नापाक कोशिश को नाकाम कर दिया है। इन सब के बीच भारत ने पाकिस्तान (India -Pakistan)के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। आपको बता दें, पहलगाम हमले के बाद भारत ने सख्त रवैया अपनाते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। अब केंद्र सरकार सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी को लेकर एक ऐसी योजना बना रही जिससे दुश्मन मुल्क के पसीने छूट जाएंगे। तो आइए जानते है इस बारे में विस्तार से……
केंद्रीय जल आयोग ने की सिफारिश
दरअसल भारत ने पाकिस्तान (India -Pakistan) के खिलाफ एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) स्थगित होने के बाद जम्मू और कश्मीर में चिनाब नदी पर दो रन-ऑफ-द-रिवर पनबिजली परियोजनाओं बगलिहार और सलाल में पहली बार फ्लशिंग किया गया था। अब केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने सरकार से सिफारिश की है कि इस तरह की फ्लशिंग एक मासिक रुटीन बनाया जाए।
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पहली बार किया गया ये प्रयास
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनएचपीसी और जम्मू और कश्मीर की सरकार ने बिजली उत्पादन में बाधा डालने वाली तलछट को साफ करने के लिए सलाल और बगलिहार डैम को फ्लश करना शुरू कर दिया है। 1987 में सलाल और 2008-09 में बगलिहार के निर्माण के बाद से यह इस तरह का पहला प्रयास है। इससे पहले IWT के तहत पाकिस्तान (India -Pakistan) बार-बार आपत्ति जताता रहा। जिसके कारण इन कार्यों को रोका गया था।
हटाई गई इतनी तलछट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मई की शुरुआत में शुरू हुई फ्लशिंग ने 690 मेगावाट सलाल और 900 मेगावाट बगलिहार जलाशयों से 7.5 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) से अधिक तलछट को हटा दिया है। रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि सीडब्ल्यूसी ने अब सिफारिश की है कि दोनों परियोजनाओं के लिए हर महीने फ्लशिंग की जाए और जल्द ही एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी की जाएगी।
पाकिस्तान ने जताई आपत्ति
हालांकि पाकिस्तान ने फ्लशिंग को नियमित किए जाने पर आपत्ति जताई है। इस बीच संधि को स्थगित किए जाने के बाद भारत पाकिस्तान (India – Pakistan) के साथ न तो हाइड्रोलॉजिकल डेटा शेयर करेगा और न ही उसे इन फ्लशिंग ऑपरेशनों के बारे में कोई जानकारी देगा। भारत मध्यम और लंबी अवधि के लिए अब तक पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण रुकी हुई पनबिजली परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने, सिंधु के कुछ प्रवाह को मोड़ने पर विचार करने और नई परियोजनाओं के निर्माण की संभावना तलाशने की योजना बना रहा है।
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