Israel – Yemen War : मध्य-पूर्व में जारी तनाव एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। इज़राइल ने यमन (Israel – Yemen War) की राजधानी सना में 28 अगस्त 2025 को अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला कर दिया है, जिसमें हूती विद्रोही सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी और कई कैबिनेट मंत्री मारे गए। इस हमले को इज़राइल और हूती विद्रोहियों के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष का निर्णायक मोड़ माना जा रहा है।
इज़राइल ने किया दावा
इज़राइल (Israel – Yemen War) ने दावा किया कि यह हमला एक प्रेसिजन स्ट्राइक था, जिसका मकसद हूती मिलिशिया के शीर्ष नेतृत्व को खत्म करना था। इज़राइल के मुताबिक, हाल के महीनों में हूती विद्रोही लगातार लाल सागर और इज़राइली ठिकानों पर ड्रोन व मिसाइल हमले कर रहे थे। इस वजह से इज़राइल ने जवाबी कार्रवाई की। इस स्ट्राइक में प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी के साथ-साथ रक्षा, विदेश, न्याय और कृषि विभागों के मंत्री भी ढेर हो गए।
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हूती विद्रोहियों की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री और मंत्रियों की मौत के बाद हूती प्रशासन में हड़कंप मच गया है। हूती प्रवक्ताओं ने इज़राइल (Israel – Yemen War) को “खून का बदला खून” देने की धमकी दी है। राजधानी सना और अन्य शहरों में हूती समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आने वाले दिनों में हूती संगठन नए हमले कर सकता है।
मुहम्मद अहमद मिफ़्ताह बने नए डिप्टी पीएम
अहमद अल-रहावी की मौत के बाद हूती सरकार ने डिप्टी पीएम मुहम्मद अहमद मिफ़्ताह को कार्यकारी प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि एक ही वार में पूरा मंत्रिमंडल खत्म हो जाने से हूती सरकार की क्षमता और मनोबल दोनों पर बड़ा असर पड़ेगा।
यह हमला केवल यमन और इज़राइल (Israel – Yemen War) तक सीमित नहीं है। हूतियों के पीछे ईरान की खुली मदद रहती है, ऐसे में आशंका है कि तेहरान इस हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देगा। दूसरी ओर, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने हालात पर नज़र रखनी शुरू कर दी है, क्योंकि लाल सागर से गुजरने वाला समुद्री मार्ग वैश्विक व्यापार के लिए बेहद अहम है।
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