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किसी ने मां को व्हीलचेयर पर बैठाया, तो कोई पति को कंधे पर टांग 100 किलोमीटर चली, कांवड़ 2025 की ये कहानियां रुला देंगी

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Kanwar Yatra : हिन्दू धर्म के मुताबिक सबसे पवित्र महीना सावन माह है जो अभी चल रहा है। इस महीने में भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) भी करते है। बहुत सारे भक्त हरिद्वार समेत अन्य जगहों से गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) निकालते है।

कांवड़ यात्रा की हैरतभरी पांच कहानियां

आज हम आपको भोलेनाथ के ऐसे ही पांच भक्तों से मिलवाने जा रहे है जो हर कठिन परिस्थति को पार कर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अथक प्रयास कर रहे है।

1. बेटे की जान बची को पिता बना भोले का भक्त

राजस्थान के भरतपुर के एक पिता ने अपने बीमार बेटे के ठीक होने की प्रार्थना की थी। डॉक्टरों को बभी भरोसा नहीं था कि उनका बेटा ठीक होगा। लेकिन इस पिता ने अपने भोलेनाथ पर भरोसा दिखाया। ना सिर्फ भरोसा दिखाया बल्कि वादा भी किया कि अगर उनका बेटा ठीक हो गया तो वह हर साल हरिद्वार से कांवड़ (Kanwar Yatra) में जल भरकर लाएंगे। 2025 में वह लगातार पांचवी बार पैदल कांवड़ ला रहे है। अब उनका बेटा खुद भोलेनाथ का भक्त है।

2. व्हीलचेयर से बेटा करवा रहा मां को कांवड़ यात्रा

यूपी के मेरठ की ये कहानी है जहां पर एक 70 वर्षीय माँ को बेटा कांवड़ यात्रा करवा रहा है। इसमें खास ये है कि मां जो कि चल नहीं सकती है तो इसके लिए  उनका बेटा व्हीलचेयर पर कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) करवा रहा है। इस पूरी यात्रा के दौरान वह कभी अपनी मां को गोद में लेकर चलता है तो कभी उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाकर यात्रा करवाता है। इस तरीके से वह अपनी मां का यह सपना पूरा कर रहा है।

3. पति की मौत के बाद पत्नी कर रही कांवड़ यात्रा

गाजियाबाद के पति-पत्नी की कहानी है जो हर साल साथ में कांवड़ यात्रा करते थे। दरअसल गाजियाबाद की रहने वाली रीमा देवी हर बार अपने पति के साथ कांवड़ यात्रा करती थी। लेकिन पिछले साल उनके पति ने उनका साथ छोड़ दिया और भगवान को प्यारे हो गए थे। इसके बाद इस साल रीमा देवी ने अकेले ही कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) करने का प्रण लिया है।

4. सालभर का मासूम जो बना कांवड़ यात्री

मथुरा का 11 साल का अर्जुन पहली बार अपने पिता के साथ कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर निकला। मात्र 11 साल का होने के बाद वह अपने पिता की साथ कदम से कदम मिलकर चल रहा है। उसके जोश से यह नहीं लग पा रहा है कि वह पहली बार कांवड़ ला रहा है और इतना छोटा है। साथ ही पूरे रास्ते वह “हर-हर महादेव” की जय-जयकार लगाते हुए चल रहा है। साथी यात्री बभी उसकी आस्था देखकर चकित है और मान रहे है कि उस पर भोलेनाथ की पूरी कृपा है।

5. IT इंजीनियर पर भी चढ़ा कांवड़ यात्रा का खुमार

आईटी इंजीनियर होना साधारण बात नहीं है। इंजीनियर की नौकरी में समय कहाँ मिल पाता है। लेकिन एक व्यक्ति है जो आईटी इंजीनियर होने के बावजूद भी भगवान के लिए पूर्णतया समर्पित है। इतना ही नहीं उसने अपने व्यस्त समय में भी भगवान के लिए वक्त निकाला है। इसके साथ ही उसने साइकिल से द्वारा ही पूरी कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) करने की ठानी है। इसके लिए वह दिल्ली से हरिद्वार साइकिल के माध्यम से कांवड़ यात्रा निकाल रहा है।

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मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...

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