Madhya pradesh shoes case: अगर आप दुकान से अपनी पंसद के जूते लें और घर लेजाने के बाद आपकों उनमें कुछ समस्या लगे तो आप क्या करेंगे? जाहिर है ज्यादातर लोग दुकान में वापस जाकर दुकानदार से जूते वापस लेने के लिए कहेंगे लेकिन तब क्या हो जब दुकानदार जूते वापस लेने से ही इंकार करदे। दरअसल ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश (Madhya pradesh shoes case) से सामने आया है, जहां दुकानदार ने खराब जूते वापस लेने से इनकार कर दिया। हालांकि इसके बाद उस ग्राहक ने जो किया वो अपने आप में एक मिसाल के तौर पर कई सालों तक याद की जाएगी। आईए जानते हैं पूरा मामला।
11 साल पहले का है मामला
दरअसल ये पूरा मामला 11 साल पहले 14 मई 2013 का है जब शिवराज ठाकुर नाम के एक ग्राहक ने ज्योति फुटवेयर (Madhya pradesh shoes case) से एक जोड़ी जूते खरीदे थे। घर जाकर शिवराज को पता चला ही जूतों में कुछ समस्या है और उसी समय वो दुकान पक वापस गया और जूतों को वापस लेने की मांग की। लेकिन दुकानदार ने शिवराज की एक ना सुनी और जूते वापस लेने से साफ इंकार कर दिया।
दुकानदार की इस हरकत को देख शिवराज काफी आग बबूला हो उठे और उन्होंने दुकानदार पर केस कर दिया। और अब 11 साल बाद इस केस का फैसला सुनाया गया है, बालाघाट जिला उपभोक्ता फोरम ने इस दिलचस्प मामले में फैसला सुनाकर दुकानदार को 600 रुपये, 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक क्षति के लिए 1,000 रुपये, और अपील के खर्च के रूप में 1,000 रुपये देने का आदेश सुनाया है।
प्रतिष्ठान को जारी हुआ था जमानती वारंट
शिवराज ने जिला उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया, जहां उनकी शिकायत पर (Madhya pradesh shoes case) कार्रवाई की गई। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष श्यामाचरण, उपाध्याय सदस्य डॉ. महेश कुमार चांडक और हर्षा बिजेवार डोहारे की बेंच ने निष्पादन आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत प्रतिष्ठान को जमानती वारंट जारी किया गया था। प्रतिष्ठान के मालिक ने न्यायालय में उपस्थित होकर आवेदक को 3,040 रुपये की राशि का भुगतान किया।
पहले ही शिवराज के पक्ष में आया था निर्णय
आयोग ने 13 जुलाई 2023 को दिए गए अपने फैसले में जिला फोरम के निर्णय को बरकरार रखा। इसके बाद, ज्योति फुट वेयर ने आवेदक शिवराज ठाकुर को 3,040 रुपये की राशि का भुगतान किया। फोरम के सदस्य डॉ. महेश चांडक ने जानकारी दी कि शिवराज ठाकुर ने 14 मई 2013 को ज्योति फुट वेयर से एक जोड़ी जूते खरीदे थे, लेकिन जूते खराब निकले। प्रतिष्ठान ने जूते वापस लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मामला उपभोक्ता फोरम तक पहुंचा और 4 सितंबर 2013 को शिवराज ठाकुर के पक्ष में निर्णय दिया गया था।
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