Martyr Rakesh Kumar : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकियों से मुठभेड़ में नायब सूबेदार राकेश कुमार (Martyr Rakesh Kumar) शहीद हो गए। कल उनका पार्थिव शरीर मंडी लाया गया था और आज पूरे राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। राकेश कुमार बल्ह उपमंडल के अंतर्गत ग्राम पंचायत छम्यार के बरनोग गांव के निवासी थे। वे अपने पीछे 90 वर्षीय मां, पत्नी व दो बच्चों को छोड़ गए हैं।
42 वर्षीय पैराकमांडो शहीद राकेश कुमार अपनी अंतिम यात्रा पर चले गए हैं। उनके शव को मंगलवार को बरनोग ले जाया गया था। जहां स्थानीय लोगों और उनके परिवारजनों ने उनके अंतिम दर्शन किए थे।
Martyr Rakesh Kumar किश्तवाड़ा में हुए थे शहीद
करीब साढ़े नौ बजे जब शहीद राकेश कुमार (Martyr Rakesh Kumar) का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो चीख-पुकार से मानो धरती ही फट गई। 90 वर्षीय मां ने भी आंगन में रखे शहीद बेटे के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए। ताबूत में बेटे को देख मां की आंखों के आंसू भी सूख गए। इस दौरान शहीद की बहनों ने भी भाई के जाने पर दुख जताया।
अब शहीद के परिवार में मां, पत्नी और बेटा-बेटी ही बचे हैं। हाल ही में राकेश कुमार दिवाली से पहले घर आए थे और दिसंबर के अंत में फिर घर आने का वादा किया था, लेकिन अब राकेश कुमार (Martyr Rakesh Kumar) कभी वापस नहीं लौटेंगे। शहीद की पत्नी भानु प्रिया, बेटी और बेटा ताबूत में रखे अपने लाडले बेटे के शव के पास रोते रहे। इस दौरान हर आंख नम थी।
पत्नी ने शहीद का माथा चूमा
पत्नी और परिजन अपने लाडले बेटे (Martyr Rakesh Kumar) के गम में नम आंखों से थोड़ी-थोड़ी देर बाद कुछ कहते नजर आए। 7 वर्षीय बेटा प्रणव और बेटी यशस्वी ठाकुर पिता को देखकर रोते रहे। शहीद राकेश कुमार (Martyr Rakesh Kumar) का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही पत्नी भानु प्रिया ने अपने शहीद पति का माथा चूमकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और भारत माता की जय के नारे के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। इस मार्मिक दृश्य ने हर किसी की आंखों में आंसू ला दिए। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे शहीद राकेश कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बरनोग पहुंचा, जहां परिजनों ने अंतिम दर्शन किए।
पत्नी ने शहीद की बीवी का फर्ज किया अदा
दरअसल, अपने शहीद पति राकेश कुमार को अंतिम विदाई देने से पहले पत्नी भानु प्रिया ने तीन बार जोरदार नारे लगाए और फिर पति को जय हिंद कहा। अंतिम यात्रा से पहले पत्नी ने पति का माथा चूमा और बेटी यशस्वी ने अपनी मां के साथ मिलकर पिता राकेश कुमार के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। इस दौरान सेना के जवान का पार्थिव शरीर करीब एक घंटे तक बरनोग स्थित उनके घर पर रखा गया। शहीद की पत्नी भानु प्रिया का दिल टूट गया, लेकिन उन्होंने इस मुश्किल घड़ी में हिम्मत दिखाई और अपने पति की शहादत को सलाम किया। शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
No Fans of #IndianArmy will pass without liking this post ❤️
Jai Hind 🫡🇮🇳#uppcs2024 #ChumDarang Pakistan DOGE Maharashtra #INDvAUS #KiranRao Vijay #KanguvaBookings #WorldKindnessDay pic.twitter.com/cpA7QFoulO
— Pallavi Sharma (@BhawaniPallavi) November 13, 2024
शहीद के 7 वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि
बाद में पार्थिव शरीर (Martyr Rakesh Kumar) को गांव के श्मशान घाट ले जाया गया, जहां विधायक विनोद कुमार, इंद्र सिंह गांधी, डीसी मंडी अपूर्व देवगन, डीआईजी सौम्या सांबशिवन समेत अन्य गणमान्य लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद के बेटे प्रणव ने 7 साल की उम्र में अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। सेना के जवानों ने हवा में फायर कर शहीद को अंतिम सलामी दी। शहीद राकेश कुमार के बड़े भाई कर्म सिंह ने कहा कि परिवार दुख में है, लेकिन देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने पर गर्व भी है।
कर्म सिंह ने कहा कि “राकेश कुमार का घर 2023 की प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया और उनका नया घर बनाने का सपना अधूरा रह गया। इसलिए सरकार को शहीद (Martyr Rakesh Kumar) के परिवार के लिए नए घर की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही छम्यार स्कूल का नाम शहीद राकेश कुमार के