Delhi Police : दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस भर्ती में टैटू बनाकर आने वाले अभ्यार्थियों के लिए राहत का फैसला सुनाया है. सुरेश कुमार कैत और गिरीश कठपालिया की पीठ ने दिल्ली में पुलिस में कांस्टेबल पद के लिए आवेदन करने वाले दीपक कुमार यादव की याचिका अपर फैसला सुनाया है. उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान एक याचिका दायर की जिसमें कहा गया था कि यदि टैटू हटाने के बाद निशान बच जाता है तो उसकी दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में भर्ती से कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस भर्ती अभ्यार्थियों को दी राहत
सुरेश कैत और गिरीश कठपालिया की पीठ ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में कांस्टेबल पद के लिए आवेदन करने वाले दीपक कुमार यादव की केंद्रीय न्यायधिकरण (कैट) के जजमेंट को बरकरार रखा. दरअसल मामला यह है कि यादव को पहले कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा दिल्ली पुलिस में भर्ती के लिए अयोग्य घोषित किया गया था. क्योंकि मेडिकल जांच के दौरान उनके अंग पर टैटू निकला था. उच्च न्यायालय ने पाया कि उस समय अभ्यर्थी ने निष्कासन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी.
टैटू के हल्के निशान दिखने पर नहीं करेंगे बर्खाश्त
कोर्ट ने आगे कहा कि वह निशान बहुत धुंधला दिख रहा है. और कभी-कभी इस प्रकार के निशान प्राकृतिक होते हैं और इसलिए उस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है. वर्तमान में, प्रतियोगी के अंतिम भाग पर कोई स्पष्ट निशान नहीं है और वह अन्यथा सभी नामांकन में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में भर्ती योग्य है. उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि यदि किसी प्रतियोगी के पास कोई योग्यता नहीं है तो उसे आम तौर पर एक निश्चित समय सीमा के भीतर इसे हटा दें. यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनकी उम्मीदवारी को खारिज किया जा सकता है.
टैटू हटाएगा या हटाने की कोशिश करेगा तो नहीं होगा बाहर
इस मामले में अदालत ने कहा कि पहला मेडिकल परीक्षण 20 जनवरी को हुआ था उसके बाद 22 जनवरी, 2024 को मेडिकल बोर्ड द्वारा समीक्षा की गई. इस अवधि के दौरान यादव पहले से ही फॉल्ट रिमूवल के लिए सर्जरी करवा रहे थे. यही वजह है कि उनका रिमूवल सामने आया. जब केस हाई कोर्ट ने पाया कि अब अभ्यर्थी के अग्रभाग में एक बहुत ही हल्का निशान दिखाई दे रहा है.
कोर्ट ने सबसे पहले दिल्ली पुलिस (Delhi Police) भर्ती में बैठे परीक्षार्थियो राहत देते हुए कहा कि कभी-कभी इस तरह के निशान प्राकृतिक रूप से होते हैं और ये निशान यादव की उम्मीदवारी को रद्द करने का आधार नहीं माने जा सकते हैं.
याचिका कर्ता दीपक यादव को भी प्रशिक्षण देने के दिए निर्देश
ऐसे में उनके अभ्यर्थी ने न्याय की अवधारणा के विपरीत कदम उठाना रद्द कर दिया. ऐसे में कैट का ऑर्डर ही बरकरार रखा जाए और याची की उम्मीदवारी बरकरार रखी जाए. कोर्ट ने आगे कहा कि यादव को निष्कासन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कम से कम समीक्षा में मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश करने का कोई अवसर नहीं मिला. कोर्ट ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि सभी रिक्तियां पहले ही भरी जा चुकी हैं, पीडीएफ पुलिस दिल्ली (Delhi Police) को निर्देश दिया गया है कि वे प्रतिवादी को एक सप्ताह के भीतर प्रशिक्षण के लिए अन्य बैच में शामिल होने की अनुमति दें.
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