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बिना हाथ के लगाती है निशाना, संघर्षों के बाद भी शीतल ने नहीं छोड़ा हौसला, 17 साल में बनी सबसे कम उम्र में मेडल जीतने वाली 

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Sheetal Devi : पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने महज 17 साल की उम्र में अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया को चौंका दिया है. शीतल देवी (Sheetal Devi) ने दर्शकों को चकित करते हुए पेरिस पैरालंपिक में डेब्यू करते हुए अपने प्रमुख खेल से प्रेमियों को प्रभावित किया है. शीतल देवी ने महिलाओं की व्यक्तिगत तीरंदाजी के क्वालीफिकेशन दौर में शानदार प्रदर्शन करते हुए 698 का ​​पिछला वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और 720 में से 703 अंक हासिल कर दूसरा स्थान हासिल किया.

Sheetal Dev ने पैरों से निशाना लगाकर बनाया विश्व रिकॉर्ड

पैरालिंपिक में महिलाओं की तीरंदाजी के प्री क्वार्टर फ़ाइनल में शीतल देवी (Sheetal Devi) का सामना पेरिस चिली की मारियाना जुनिगा से हुआ. हालाँकि शीतल देवी को इसमें सिर्फ 1 प्वॉइंट से हार का सामना करना पड़ा. शीतल देवी ने 720 में 703 अंक हासिल किए. यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इस दौरान शीतल देवी ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया.बता दें, शीतल देवी का यह पहला ओलंपिक है. शीतल देवी (Sheetal Devi) टॉप-4 में फिनिश हो गई हैं ऐसे में उन्हें अगले राउंड में बाई मिली है और वो अब सीधे प्री-क्वार्टर फाइनल खेलेंगी.

पेरिस पैरालंपिक में जीता ब्रोंज मेडल

शीतल देवी अपने शुरुआती दौर में टोक्यो 2020 पैरालंपिक की रजत पदक विजेता चिली की मारियाना जुनिगा से आगे हो सकती हैं. शीतल देवी (703) और राकेश कुमार (696) की जोड़ी ने कंपाउंड संयुक्त टीम के साथ मिलकर 1399 का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड स्कोर बनाया और राकेश और शीतल ने पिछले रिकॉर्ड को एक अंक से तोड़ दिया. और ब्रोंज जीता. शीतल देवी (Sheetal Devi) की दुनिया की पहली सक्रिय महिला तीरंदाज़ हैं जो बिना हाथों के तीरंदाजी करती हैं.

शीतल बिना हाथ के लगाती है निशाना

शीतल देवी (Sheetal Devi) का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू और कश्मीर के एक छोटे से गांव किश्तवाड़ में हुआ था. कहा जाता है कि वह फोकोमेलिया नामक बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन इसके बाद भी तीरंदाजी की दुनिया में वो जगह बन गई जहां बहुत कम लोग ही हासिल कर पाए. शीतल का जीवन बिना साधन से भरा हुआ था. उनके माता-पिता के साथ और शीतल (Sheetal Devi) की इच्छाशक्ति ने उन्हें अपनी सीमा पार करने के लिए प्रेरित किया. जब उन्होंने तिरंदाजी की ओर रुख किया तो उनका जीवन बदल गया.

15 साल कि उम्र तक शीतल ने नहीं सीखा तीरंदाजी का खेल

बिना हाथों के तीर चलाना किसी के लिए भी असंभव लग सकता है, लेकिन शीतल (Sheetal Devi) ने इसे अपने जज्बे और मेहनत से संभव कर दिखाया. उन्होंने तीर चलाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे इसमें उनकी लगन लगने लगी थी. उनकी मेहनत और जज्बे ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों में हिस्सा लेने का मौका दिया, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. शीतल ने केवल अपनी व्यक्तिगत पहचान नहीं बनाई, बल्कि इससे यह साबित हुआ कि किसी भी व्यक्ति की विकलांगता उसे कभी नहीं रोक सकती हैं. शीतल को 2023 में अर्ज्जुन अवार्ड भी मिला है.

दुनिया कि सबसे छोटी खिलाड़ी है शीतल

15 साल कि उम्र तक उन्होंने (Sheetal Devi) धनुष-बाण भी नहीं देखा था. जब उन्हें बिना हाथों के पेड़ पर चढ़ते देखा. इसके बाद लोगों को उनकी प्रतिभा का एहसास हुआ. शीतल का जन्म बिना हाथों के हुआ जिससे उनके परिवार की शुरुआत बहुत सी मुश्किलों का सामना करने से हुई. इसके बावजूद, शीतल (Sheetal Devi) के माता-पिता ने कभी भी हार नहीं मानी और अपनी बेटी के बेहतर जीवन की कामना की.

मात्र 2 साल में शीतल ने इस खेल में छुए नए आयाम

वर्ष 2022 में किसी की सलाह पर वह जम्मू के कटरा स्थित श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में पहुंची. असल में यह इतना आसान नहीं था. यह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स अपने घर से भी 200 किमी दूर था. उनकी मुलाकात अभिलाषा चौधरी और वेदवान से हुई. दोनों ने शीतल देवी (Sheetal Devi) के जीवन में नया मोड लाने का सोचा. इन दोनों कोचों ने शीतल को ना सिर्फ तीरंदाजी सिखाई बल्कि उसे प्रेरित भी किया. वह कटरा में एक ट्रेनिंग कैंप में शामिल हुईं. इसके बाद उन्होंने लगातार अपने करियर में नए आयाम बनाए हैं.

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