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5 साल तक बीवी को ऑफिस से लाना और छोड़ना किया, ताने सुन खड़ी कर दी 100 करोड़ कंपनी

5 साल तक बीवी को ऑफिस से लाना और छोड़ना किया, ताने सुन खड़ी कर दी 100 करोड़ कंपनी

100 करोड़ की कंपनी खड़ा करने के पीछे ये कहानी बताते है , कहते है मंजिले जरूर हासिल होती है अगर दिल में चाहत हो तो हर मुकाम हासिल होगा। छोटे स्तर से हीं यदि किसी भी कार्य की शुरूआत होती है। तो उम्मीद यही रखनी चाहिए तो वह आगे चलकर वह कार्य बड़ा ही होगा। ऐसी ही आज कहानी बताते है की एक व्यक्ति जिन्होंने 50 हजार रूपए उधार लिया और कार्य शुरू किया। यही नहीं आज वह 100 करोड़ रुपए हर साल इस कारोबार से कमा रहे हैं। बताते है आज आपको इनके सफलता के बारे में –

ऐसे शुरू किया कारोबार

मेरु कैब्स के को-फाउंडर नीरज गुप्ता जिन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न कर मुंबई के मीठबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। वह पढ़ने में होशियार नहीं थे जिसके चलते उनके इतने अच्छे नम्बर नहीं आए। आगे उन्होंने नौकरी की तलाश की लेकिन नौकरी नहीं मिली। बाद में उन्होंने अपने पिता के दोस्त के कम्पनी में काम किया। फिर उनकी शादी हुई और उन्होंने नौकरी छोड़ दिया।

उनकी पत्नी जेट एवरेज पर जॉब करती थी। इस दौरान इनके पास एक कार्य था उन्हें डियूटी के लिए ले जाना और वापस लाना। उन्होंने 5 साल तक यही कार्य किया और घर पर रहे। फिर उन्होंने यह मन बनाया कि वह एक खुद का कारोबार शुरू करेंगे।

उन्होंने अपनी पत्नी से 50 हजार रुपये कर्ज लिया और एक गाड़ी रिपेयरिंग की गैराज खोला। उसका नाम उन्होंने “इलिट क्लास” रखा। उसमें यह गाड़ियों की रिपेयरिंग के साथ ऑटोमोबाइल्स की वार्षिक मेंटेनेंस किया करते थे। आगे अच्छे खासे कंपनियों वाले उनके कस्टमर बनने लगे।

मेरु कैब्स बनी पहली मीटर से चलने वाली टैक्सी

कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए लिंक के द्वारा बस सेवा आरम्भ किया। उन्होंने इसके लिए टाटा ग्रुप के साथ सम्पर्क किया और 14 लाख रुपये लोन के तौर पर लेकर बस को खरीदा। उनका यह कारोबार अच्छा स्थापित हुआ और उन्होंने 6 वर्ष तक यह किया।

आखिर उन्होंने अपने मेरु कैब्स का शुभारंभ किया। मेरु कैब्स पहली मीटर से चलने वाली टैक्सी बनी। उसके लिए पैसे इकठ्ठे करना मुश्किल था। उन्होंने 2 छोटी कम्पनी ओपन करने का निश्चय किया। एक कम्पनी वी-लिंक फ्लीट सॉल्यूशन्स हुई इसके माध्यम से लोंगो को बीपीओ में लेकर जाया जाने लगा।

एक वी-लिंक टैक्सिस जो मुंबई के रास्तों पर चलने लगी। इस टैक्सी में एयर कंडीशन्स मौजूद थी। साल 2006 में 2 सौ करोड़ की इंडिया वैल्यू फंड के द्वारा हुआ। इस युग मे इनके पास 9 हजार कार चल रही हैं। प्रतिदिन 30 हजार ट्रिप्स चल रही हैं। उनका वार्षिक टर्न ओवर 8 सौ करोड़ रुपये है।

उनकी रेवेन्यू लगभग 100 करोड़ से भी अधिक है। इतना ही नहीं उन्होंने एक स्पेशल कैब सर्विस का शुभारंभ भी किया है जिसका ड्राईविंग महिलाएं करती हैं और ये सिर्फ महिलाओं के लिए हीं है। आज वह करोङो का बिजनेस कर रहे है।

 

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