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भारत के ये गांव हैं सबसे अलग! कहीं मौत को मानते हैं त्यौहार तो कहीं सांपों को पालकर करते हैं पूजा

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These villages of India are different from others! Somewhere death is celebrated as a festival

Village: भारत एक अनोखा देश है जहाँ विभिन्न प्रजातियों के साँपों के साथ-साथ अनेक प्रकार के जंगली जानवर भी पाए जाते हैं. सनातन धर्म में साँपों को सदैव पूजनीय स्थान दिया गया है. और कहीं तो किसी के मरने पर लोगों की दुनिया मिट जाती है और वे रोते-बिलखते हैं, वहीं इस गाँव (Village) में मरने पर एक त्यौहार मनाया जाता है. तो चलिए, आगे जानते हैं कि ये कौन सा गाँव है और यहाँ की परंपरा क्या है?

सापों की करते पूजा

People Of This Village Worship Snakes

शेतफल गाँव (Village) के लोगों ने अपने घरों में कुत्ते-बिल्लियों की बजाय कोबरा सांप पाल रखे हैं. इस गाँव में रहने वाले लोग साँपों को अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं. गाँव के लोग साँपों से बिल्कुल नहीं डरते. दरअसल, सांप को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, इसलिए गांव के लोग सांप को दूध भी पिलाते हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में रहने वाले बच्चे बिना किसी डर के सांपों के साथ खेलते हैं. गाँव के लोग साँपों की पूजा करते हैं. अगर आप इस गाँव में घूमने जाएँ, तो आपको यहाँ कई मंदिर दिखेंगे जहाँ साँपों की पूजा की जाती है.

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जानें कहाँ से शुरू हुई ये परंपरा?

इस गाँव (Village) के लोगों का मानना ​​है कि उनके पूर्वजों ने साँप पालना शुरू किया था और तब से आने वाली पीढ़ियाँ इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. इस गाँव में बच्चे बचपन से ही साँपों को पकड़ना सीखते हैं. अगर आपको भी इस तरह की एडवेंचरस जगहों को एक्सप्लोर करने का शौक है, तो आपको कम से कम एक बार इस गांव को एक्सप्लोर करने का प्लान जरूर बनाना चाहिए.

मृत्यु में रोना नहीं त्यौहार मनाते लोग

महादेव की नगरी काशी विश्व के प्राचीनतम नगरों और तीर्थस्थलों में से एक है. महादेव की नगरी काशी में मृत्यु भी एक वरदान मानी जाती है. वाराणसी को कालों के देवता महादेव शिव की भूमि माना जाता है. यहाँ मृत्यु के बाद शव पर रोने की बजाय ढोल-नगाड़े बजाने की परंपरा है.

काशी एकमात्र ऐसी नगरी है जहाँ मृत्यु को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि काशी में मरने वाली आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है. इसीलिए यहाँ मृत्यु को शोक के रूप में नहीं, बल्कि उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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