Independence Day 2025: भारत इस साल अपनी आज़ादी का 79वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2025) मना रहा है। तिरंगे की शान और देशभक्ति के गीतों के बीच, यह दिन हमें उन वीर सपूतों की याद भी दिलाता है, जिन्होंने अपनी जवानी देश के नाम कर दी।
कई क्रांतिकारी ऐसे भी थे, जिन्होंने महज़ 22 साल या उससे कम उम्र में ही हंसते-हंसते देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उनका साहस, त्याग और देशप्रेम आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।
22 साल की उम्र में इन फ्रीडम फाइटर्स ने देश के लिए दी जान
1. भगत सिंह
भगत सिंह का नाम लेते ही आंखों में एक वीर, निर्भीक और क्रांतिकारी छवि उभरती है। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रिटिश अफसर सांडर्स की हत्या की और फिर असेंबली में बम फेंककर अंग्रेजों को चेतावनी दी कि हिंदुस्तान अब चुप नहीं बैठेगा।
23 मार्च 1931 को, सिर्फ़ 23 साल की उम्र में, भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव के साथ हंसते-हंसते फांसी के तख़्ते पर चढ़ गए। उनकी अंतिम इच्छा थी, “मेरे शव को जला देना और राख को सतलज में बहा देना, ताकि मैं हमेशा देश की मिट्टी में मिल जाऊं।”
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2. राजगुरु
शिवराम हरि राजगुरु, महाराष्ट्र के रहने वाले, अपनी बेहतरीन निशानेबाजी के लिए जाने जाते थे। वे भी भगत सिंह और सुखदेव के साथ लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना में शामिल थे।
राजगुरु की उम्र उस समय सिर्फ़ 22 साल थी, जब उन्होंने फांसी का सामना किया। वह फांसी के दिन भी मुस्कुराते हुए जेल से बाहर आए और कहा,“देश के लिए मरना ही सबसे बड़ा सम्मान है।”
3. सुखदेव
सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना (पंजाब) में हुआ था। वे शुरू से ही ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ थे और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के सक्रिय सदस्य बने। वे भगत सिंह और राजगुरु के बचपन के दोस्त थे और तीनों ने मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अफसर सांडर्स की हत्या की योजना बनाई।
सुखदेव केवल बंदूक उठाने वाले क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि उन्होंने युवाओं को संगठित कर आज़ादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था,”क्रांति की तलवार विचारों की धार से तेज होती है।” 23 मार्च 1931 को, भगत सिंह और राजगुरु के साथ, सुखदेव को भी लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। सिर्फ 23 साल की उम्र में, 23 मार्च 1931 को, उन्होंने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया और अपने प्राण मातृभूमि को समर्पित कर दिए।
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