Temple: कंबोडिया और वियतनाम के बीच तनाव एक बार फिर गहराता जा रहा है. वियतनाम ने कंबोडिया के सैन्य हमले का जवाब देते हुए हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. इससे पहले गुरुवार सुबह सीमा के पास दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे पर हमला किया था.
कंबोडिया के विदेश मंत्रालय ने थाई सैनिकों पर पहले गोलीबारी करने का आरोप लगाया, जबकि थाईलैंड की सेना ने कहा कि कंबोडिया ने सैनिकों को भेजने से पहले एक ड्रोन तैनात किया था, फिर तोपखाने और लंबी दूरी के BM21 रॉकेटों से गोलीबारी की. आइये मंदिर (Temple) विवाद के बारे में आगे जानते हैं?
सालों पुराना शिव Temple
🚨🇹🇭🇰🇭 Thailand–Cambodia Border Dispute Explained
At the heart of the conflict lies the 11th-century Preah Vihear Temple, perched on a cliff along the disputed border.
🛑 In 1962, the ICJ ruled the temple belongs to Cambodia. But Thailand contests surrounding land (4.6 sq km),… pic.twitter.com/RMyIiO9ZEM
— Homo erectus (@Erectusvibes) July 24, 2025
दोनों देशों के बीच इस विवाद की वजह वही पुरानी है. 1100 साल पुराना शिव मंदिर (Temple) जिसे प्रीह विहेअर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव के लिए करवाया था. लेकिन समय के साथ यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र न रहकर राष्ट्रवाद, राजनीति और सैन्य शक्ति का अखाड़ा बन गया है.
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PM की गई कुर्सी
2 जुलाई 2025 को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पटोंगटॉर्न शिनावात्रा को अदालत ने निलंबित कर दिया. वजह थी एक फ़ोन कॉल जिसमें वह एक वरिष्ठ कंबोडियाई नेता से बात करते हुए उन्हें अंकल कह रही थीं. वो भी तब, जब सीमा पर हालात बेहद तनावपूर्ण थे. जब यह बातचीत लीक हुई, तो जनता ने इसे राष्ट्रीय गौरव के विरुद्ध माना. यह बातचीत जल्द ही राजनीतिक तूफ़ान बन गई और प्रधानमंत्री को अपना पद गँवाना पड़ा.
दोनों पक्षों का क्या कहना है?
कंबोडिया का दावा है कि मंदिर (Temple) उसकी सीमा में स्थित है, जबकि थाईलैंड का कहना है कि मंदिर का कुछ हिस्सा उसके सुरिन प्रांत में पड़ता है. दरअसल, यह मंदिर डांगरेक पहाड़ियों में एक रणनीतिक दर्रे पर स्थित है, जहाँ से कभी ऐतिहासिक खमेर राजमार्ग गुजरता था, जो आज के अंगकोर (कंबोडिया) को फिमाई (थाईलैंड) से जोड़ता था. यह विवाद बीते दशकों में थमा नहीं, बल्कि समय के साथ और भड़क उठा. और अब, इस विवाद ने देश की राजनीति को भी हिलाकर रख दिया है.
कहां से शुरू हुआ विवाद?
माना जाता है कि यह विवाद 20वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ था. 1904 में यह तय हुआ कि सीमा प्राकृतिक जल विभाजक के आधार पर तय की जाएगी. लेकिन 1907 में फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों द्वारा तैयार किए गए नक्शे में मंदिर को कंबोडिया में दिखाया गया था. थाईलैंड ने उस समय इसे स्वीकार किया, लेकिन 1930 के दशक में इसका विरोध किया, जो बहुत देर हो चुकी थी, और आईसीजे (अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय) ने विरोध को खारिज कर दिया.
1962 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर (Temple) पर कंबोडिया का अधिकार दे दिया. हालाँकि, थाईलैंड ने इस फैसले को कभी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया और अब भी मंदिर से सटे क्षेत्र पर अपना दावा करता है. दोनों देशों के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब 2008 में कंबोडिया ने मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया. 2008 से 2011 के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार झड़पें हुईं.2011 में एक हफ़्ते तक भारी गोलाबारी जारी रही, जिसमें दोनों देशों के कुल 42 लोग मारे गए, जिनमें सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिक भी शामिल थे. इनमें कंबोडिया के 19 सैनिक और 3 नागरिक, और थाईलैंड के 16 सैनिक और 4 नागरिक शामिल थे.
नवीनतम विवाद कैसे हुआ उत्पन्न?
मई 2025 में स्थिति एक बार फिर बिगड़ गई. थाईलैंड ने दावा किया कि उसके क्षेत्र के अंदर कंबोडिया द्वारा ड्रोन निगरानी गतिविधि देखी गई, जो उकसावे की कार्रवाई थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच रॉकेट दागे जाने और हवाई हमलों की खबरें आईं. थाईलैंड ने भी एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। कंबोडिया का आरोप है कि थाई सेना ने बिना उकसावे के हमला किया और उनकी सेना ने केवल आत्मरक्षा में कार्रवाई की.
1 जून को, कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने घोषणा की कि वह इस मामले को एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाएँगे. उन्हें संसद से भी मंज़ूरी मिल गई। हालाँकि थाईलैंड अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता, लेकिन 14 जून को दोनों देशों ने संयुक्त सीमा समिति के तहत सीमा पर बातचीत शुरू की.
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