Posted inन्यूज़

फिल्म से आई शिक्षा में क्रांति! केरल में U-शेप क्लासरूम से खत्म हुआ ‘बैकबेंचर्स’ का कांसेप्ट

U Shape Kerala'S Classroom Has Been Started In School. In Which There Will Be No Backbencher
U shape Kerala's Classroom has been started in school. In which there will be no backbencher

Kerala’s Classroom : फ़िल्में दर्शकों के जीवन में काफी गहरा असर छोड़ती है। ऐसा ही असर एक फिल्म ने केरल के विद्यालय (Kerala’s Classroom) में भी छोड़ा है। जहां पर शिक्षकों ने इस फिल्म से प्रेरणा लेकर ऐसा काम कर दिया जो काफी सराहा जा रहा है। इस फिल्म में बेकबेंचर के कांसेप्ट को हटाने पर बल दिया गया था और इसी से प्रेरणा लेकर केरल के एक विद्यालय (Kerala’s Classroom) ने यह कदम उठाया है।

केरल के विद्यालयों में बैकबेंचर्स का कांसेप्ट खत्म

केरल के कई स्कूल (Kerala’s Classroom) बच्चों के बैठने की नई व्यवस्था अपना रहे हैं। इस नई बैठने की व्यवस्था में, स्कूल यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पीछे बैठने वाले कोई न हों। यह व्यवस्था इतनी बेहतरीन है कि हर छात्र तक आसानी से पहुँचा जा सकता है, सभी छात्रों को आसानी से देखा जा सकता है, और छात्र अपने शिक्षक को भी आसानी से देख सकते हैं।

फिल्म स्थानार्थि श्रीकुट्टन से ली प्रेरणा

केरल के कई स्कूल (Kerala’s Classroom) फिल्म स्थानार्थि श्रीकुट्टन से प्रेरित एक क्रांतिकारी कक्षा व्यवस्था अपना रहे हैं। इस फिल्म का प्रीमियर पिछले महीने ओटीटी प्लेटफॉर्म साइना प्ले पर हुआ था और तब से पारंपरिक पंक्तियों से अर्ध-वृत्ताकार व्यवस्था की ओर क्रमिक बदलाव आया है। कहानी इस बात पर केंद्रित है कि कैसे पारंपरिक पंक्ति-आधारित बैठने की व्यवस्था को त्याग दिया गया है और एक अर्ध-वृत्ताकार व्यवस्था बनाई गई है जिसमें शिक्षक बीच में बैठते हैं।

कोल्लम ज़िले के वालकोम में परिवहन मंत्री केबी गणेश कुमार द्वारा संचालित रामविलासोम वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल ने एक साल पहले कक्षा 1 से 4 तक के छात्रों के लिए यह व्यवस्था अपनाई है। न्यूनतम-स्तरीय शिक्षण नामक यह व्यवस्था लगभग तीन दशक पहले स्कूलों में लागू थी।

क्या इस व्यवस्था के कोई नुकसान हैं?

कोच्चि के एक अस्पताल में कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. यू विवेक कहते हैं, “इस व्यवस्था से शिक्षक सभी छात्रों को देख पाएँगे। साथ ही, शिक्षक छात्र की पूरी शारीरिक भाषा भी देख पाएँगे।

लेकिन अंततः शिक्षक (Kerala’s Classroom) का शिक्षण रवैया ही मायने रखता है। इसका नुकसान यह हो सकता है कि जिस कोण पर वे बैठते हैं, उसके कारण सभी छात्र ठीक से बैठकर लिख नहीं पाएँगे।”

यह भी पढ़ें : सावन के महीने में पांच दिन तक निर्वस्त्र रहती है यहाँ की महिलाएं, सालों से चली आ रही है ये प्रथा

मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...

Exit mobile version