Fauja Singh: खेल जगत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। जहां एक दिग्गज खिलाड़ी (Player) की मौत हो गई है। आपको बता दें, यह खिलाड़ी सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए, इस खबर के सामने आने के बाद पूरे खेल जगत और उनके प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ उठी है। तो आइए आपको बताते है कौन है ये खिलाड़ी….
दिग्गज खिलाड़ी का हुआ निधन
भारत समेत पूरी दुनिया को प्रेरणा देने वाले मशहूर मैराथन धावक फ़ौज़ा सिंह (Fauja Singh) का 114 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। पंजाब के जालंधर जिले के बीआस पिंड गांव में 14 जुलाई को एक सड़क हादसे में उनकी जान चली गई। इस खबर के सामने आने के बाद पूरे खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, फ़ौज़ा सिंह दोपहर के समय सड़क पार कर रहे थे, तभी एक तेज़ रफ्तार वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर चोटों के चलते डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
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कौन थे फौजा सिंह
फ़ौज़ा सिंह (Fauja Singh) को दुनिया का सबसे उम्रदराज़ मैराथन धावक माना जाता है। उन्होंने 89 साल की उम्र में पहली बार मैराथन में हिस्सा लिया था। इसके बाद उन्होंने लंदन, टोरंटो और न्यूयॉर्क जैसी प्रतिष्ठित मैराथनों में भाग लिया और दुनियाभर में पहचान बनाई। 100 वर्ष की उम्र में उन्होंने मैराथन पूरी करके इतिहास रच दिया था।
हालांकि उनके पास आधिकारिक जन्म प्रमाणपत्र न होने की वजह से गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज नहीं हो सका, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने लाखों लोगों को यह संदेश दिया कि “उम्र सिर्फ एक संख्या है”।
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के राज्यपाल और कई खेल हस्तियों ने फ़ौज़ा सिंह (Fauja Singh) को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “फ़ौज़ा सिंह जी ने अपने जीवन से करोड़ों युवाओं को फिटनेस के प्रति जागरूक किया। वे असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे।”
Fauja Singh Ji was extraordinary because of his unique persona and the manner in which he inspired the youth of India on a very important topic of fitness. He was an exceptional athlete with incredible determination. Pained by his passing away. My thoughts are with his family and…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2025
एक युग का अंत
एक समय था जब फ़ौज़ा सिंह (Fauja Singh) को बोलने और चलने में दिक्कत होती थी, लेकिन उन्होंने खुद को साबित किया और उम्र के हर बंधन को तोड़ दिया। वे 2012 लंदन ओलंपिक के मशालवाहक भी रहे। उनकी जीवन यात्रा आज भी यह सिखाती है कि हौसले और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनका जाना न केवल एक धावक की मौत है, बल्कि एक युग का अंत भी है।
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