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कौन हैं शांतनु, जो रतन टाटा के लिए बने जीने का सहारा, 24 घंटे बना के रखते थे अपनी परछाई

Who Is Shantanu, Who Became Ratan Tata'S Support For Living, Used To Keep His Shadow 24 Hours A Day

Ratan Tata: मशहूर उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) अब इस दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने 86 की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। रतन टाटा के बारे में तो आपने बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका सबसे करीबी दोस्त कौन है? इतने बड़े बिजनसमैन होकर भी रतन टाटा अपने से बहुत छोटे युवक शांतनु नायडू से सलाह लेते थे। शांतनु नायडू 31 साल के हैं। वह उनके असिस्टेंट रहे हैं… चलिए तो इस आर्टिकल के जरिये जानते हैं कि रतन टाटा की जिंदगी में क्या था शांतनु नायडू का वजूद…..

Ratan Tata: कौन है शांतनु नायडू?

Ratan Tata

रतन टाटा (Ratan Tata) का 31 वर्षीय शांतनु नायडु खास जुड़ाव रहा है। लेकिन रतन टाटा का इससे कोई पारिवारिक संबंध नहीं है। रतन टाटा ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर खुद फोन करके कहा था की मेरे असिस्टेंट बनोगे। शांतनु नायडू मुंबई के रहने वाले हैं। शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे महाराष्ट्र में हुआ था। शांतनु, रतन टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश के लिए बिजनेस टिप्स देते थे।

देश भर में है लोकप्रियता

Ratan Tata

शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट (Ratan Tata) के डिप्टी जेनरल मैनेजर के रूप में देश भर में काफी लोकप्रिय हैं। वह एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी हैं। शांतनु नायडू ने बिजनेस इंडस्ट्री में एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो कई लोगों के लिए हमेशा एक सपना होता है।

2017 से टाटा ट्रस्ट में कर रहे काम

Ratan Tata

रतन टाटा (Ratan Tata) ने उनके फेसबुक पोस्ट को पढ़ने के बाद उन्हें एक मीटिंग के लिए बुलाया था, जहां उन्होंने आवारा कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टर के साथ बनाए गए डॉग कॉलर के बारे में लिखा था ताकि ड्राइवर उन्हें मुंबई की सड़कों पर देख सकें। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक शांतनु जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं। इसके अलावा नायडू ने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर भी काम किया है।

कैसी बढ़ी दोनों की दोस्ती?

Ratan Tata

शांतनु नायडू की रतन टाटा (Ratan Tata) के साथ अप्रत्याशित दोस्ती जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम के कारण पनपी। दोनों की मुलाकात 2014 में हुई थी, जब नायडू ने आवारा कुत्तों को रात में कारों की टक्कर से बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए थे। उनकी पहल से प्रभावित होकर, टाटा संस के मानद चेयरमैन ने नायडू को उनके लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया।

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए शांतनु नायडू टाटा समूह में काम करने वाले अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं। 2016 में शांतनु नायडू अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एमबीए करने गए। जब उन्होंने अपनी डिग्री पूरी की और 2018 में वापस आए, तो उन्होंने चेयरमैन ऑफिस में डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में टाटा ट्रस्ट में शामिल हो गए।

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