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शेख हसीना के बाद ये मुस्लिम नेता संभालेंगे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, रह चुके हैं नोबल पीस पुरस्कार विजेता

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Muhammad Yunus : बांग्लादेश में सरकार विरोधी व्यापक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़ चले जाने से पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. दबाव में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से उतरना पड़ा है. शेख़ हसीना को अपना वतन बांग्लादेश छोड़ना पड़ा है.

49 साल पहले शेख हसीना के पिता शेख मुजीब उर रहमान की सैन्य तख्तापलट में हत्या कर दी गई थी. तब शेख हसीना और उनकी बहन के अलावा परिवार में से कोई बच नहीं पाया था. दोनों बहनें जर्मनी में थीं, इस कारण किसी तरह शेख मुजीब उर रहमान का वंश बच गया. लेकिन आज करीब पचास साल बाद शेख हसीना की हालत फिर वहीं हो गई है. अब वहीं, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) का नाम सामने आ रहा है।

Muhammad Yunus ने संभाला बांग्लादेश

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश की सरकार कौन चलाए इस पर सवाल मंडरा रहा था. लेकिन बीते दिन इसका खुलासा हो गया है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया है. यह जानकारी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने दी. यह निर्णय मंगलवार रात को ढाका के बंगभवन में हुई बैठक के बाद लिया गया. जिसमें स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के नेता, राष्ट्रपति, तीनों सशस्त्र सेना के प्रमुख और ढाका विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर शामिल थे. प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के अनुसार, आबेदीन ने यह भी कहा की सरकार के अतिरिक्त सदस्यों का चयन विभिन्न राजनीतिक विद्वानों के परामर्श के माध्यम से किया जाएगा.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का बनाया मुखिया

बता दें मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के आलोचक माने जाते हैं. हसीना के देश छोड़कर चले जाने का उन्होंने स्वागत किया है और देश में हो रहे इस बदलाव को देश की “दूसरी आज़ादी” बताया गया है. यूनुस (Muhammad Yunus) फिलहाल पेरिस में हैं. वहां वे ओलंपिक खेलों में स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाए गए थे. लेकिन उनके इलाज के कारण वे अब भी वहीं हैं. देश में हो रही उथल-पुथल को देखते हुए यूनुस बहुत जल्द बांग्लादेश लौट सकते हैं.

पदभार संभालते ही एक्शन में दिखे यूनुस

मोहम्मद यूनुस के गुट से एक सूत्र ने बताया कि जब आंदोलनकारी छात्रों की ओर से उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने मुख्य सलाहकार बनने का मना कर दिया. यूनुस ने कहा कि उन्हें अभी बहुत सारा काम सौंपा गया है. यूनुस (Muhammad Yunus) ने कहा, ‘लेकिन छात्रों ने बार-बार त्याग किया है. फिर मैंने सोचा कि इन छात्रों के त्याग को गंवाया नहीं जा सकता है. यदि छात्रों ने इतना त्याग किया है यदि देश के लोगों ने इतना त्याग किया है, तो मेरी भी कुछ जिम्मेदारी है. तब मैंने यह जिम्मेदारी लेने का फैसला किया है.’

नोबेल पुरुस्कार भी जीत चुके हैं यूनुस

शेख़ हसीना के आलोचक और ‘ग़रीबों के बैंकर’ के रूप में प्रसिद्ध डॉ. यूनुस ने वर्ष 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी. उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. उन्होंने ग्रामीण गरीबों को 100 डॉलर से कम राशि के छोटे-छोटे ऋण देकर लाखों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने में मदद की थी.

मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के मुताबिक गरीब लोग इतने गरीब थे कि उन्हें पारंपरिक बैंको से भी कोई मदद नहीं मिली. वहीं, बांग्लादेश के अभियोजक इस तरह के बैंक में चले गए. इसके बाद 84 साल के डॉ. यूनुस ने 2007 में अपनी खुद की पार्टी बनाई.

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