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कौन हैं shibu soren? कैसे हुआ निधन और क्यों कहा जाता है झारखंड का दिशोम गुरु? जानें सब कुछ

Who Is Shibu Soren? How Did He Die And Why Is He Called The Dishom Guru Of Jharkhand?
Who is Shibu Soren? How did he die and why is he called the Dishom Guru of Jharkhand?

Shibu Soren : राजनीति के गलियारों से बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां एक बड़े राजनेता का निधन हो गया है। झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन (Shibu Soren) का निधन हो गया है। शिबू झारखंड के सबसे बड़े नायक थे, जिन्होंने आदिवासियों को साहूकारों और सूदखोरों के खिलाफ जगाया धनकटनी आंदोलन और आदिवासी समाज को शिक्षित करने का अभियान चलाया था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो दिशोम गुरु ने आज दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। झारखंड में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

झारखंड के पूर्व शिबू सोरेन का निधन


गोला प्रखंड के नेमरा गाँव में 11 जनवरी 1944 को सोबरन सोरेन के घर जन्मे शिबू सोरेन (Shibu Soren) को बचपन में प्यार से शिवलाल कहा जाता था। लेकिन उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिवचरण मांझी के नाम से प्राप्त की। उन्होंने 1972 में शिवचरण के नाम से ही पहली बार जरीडीह से विधानसभा चुनाव भी लड़ा।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। फिर उनके पिता ने उनका दाखिला गोला प्रखंड के राज्य प्रायोजित उच्च विद्यालय में करा दिया। जहाँ उन्होंने आदिवासी छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई जारी रखी।

कैसे हुआ Shibu Soren का निधन?

झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का निधन एक तरह से झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है। आज सुबह 8.48 बजे दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती थे। वे तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे।
शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार थे और 19 जून 2025 से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर से झारखंड की राजनीति और आदिवासी समाज में शोक की लहर दौड़ गई है।

कौन है शिबू सोरेन जिन्हें कहा गया गुरु?

दरअसल, झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन गुरुजी थे। शिबू सोरेन (Shibu Soren) को सभी ‘गुरुजी’ कहते थे, चाहे वह बच्चे हो या बड़े हो। क्योंकि उन्होंने 1970 के दशक में झारखंड के आदिवासी समुदाय को साहूकारों के शोषण से मुक्त कराने के लिए एक आंदोलन शुरू किया था।

उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या ने उन्हें सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष की राह पर ला खड़ा किया। वर्ष 1973 में उन्होंने झामुमो की स्थापना की। इसके बाद, उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए दशकों तक संघर्ष किया।

तीन बार बने झारखंड के मुख्यमंत्री

शिबू सोरेन (Shibu Soren) के संघर्ष का ही परिणाम था कि वर्ष 2000 में झारखंड बिहार से अलग हो गया। शिबू सोरेन दुमका से आठ बार लोकसभा और तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। वह तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। हालांकि उनका कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा।

शिबू सोरेन ने उन लोगों को एक मंच पर लाने का काम किया जो अलग-अलग एक ही तरह के काम के लिए, आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए और उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

JMM पार्टी बनाने वाले सूत्रधार रहे शिबू सोरेन

‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ नामक एक नया संगठन बनाने का फैसला किया। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झारखंड मुक्ति माेर्चा- JMM) का गठन हुआ। JMM के गठन के साथ ही विनोद बिहारी महतो इसके पहले अध्यक्ष बने और शिबू सोरेन (Shibu Soren) महासचिव बनाए गए। JMM के संगठन ने ही झारखंड की राजनीति को नया मुकाम दिलाया था।

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मेरा नाम यश शर्मा है। मूलतः मैं राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानीमंडी क़स्बे...

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