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राजस्थान की सियासत में शुरू हुई होटलबाजी, देखें गहलोत और पायलट में कौन किस पर भारी

राजस्थान की सियासत में शुरू हुई होटलबाजी, देखें गहलोत और पायलट में कौन किस पर भारी

जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस की लड़ाई बस गहलोत बनाम पायलट बनकर रह गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस पूरे मामले में आगे निकलते दिख रहे हैं, वहीं सचिन पायलट अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। लगभग डेढ़ साल से ऐसे ही उठाक-पटक‌ के बीच अब राजस्थान की सियासत सत्ताधारी पार्टी के अंदरूनी झगड़े में सिमट कर रह गई है।

अशोक गहलोत पड़े भारी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक में अलग-अलग तरह के दावे किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस दावे हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास 109 विधायकों का बहुमत है मीडिया रिपोर्ट कि लगभग 102 विधायक अशोक गहलोत के पक्ष में खड़े हैं, राजस्थान में इस वक्त बहुमत का आंकड़ा 101 है, ऐसे में अगर केवल आंकड़ों की बात करें तो अशोक गहलोत सचिन पायलट के साथ इस जंग में राजस्थान की सरकार की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर अधिक भारी पड़ रहा है।

पायलट का 25 का दावा

इन सब से इतर दिल्ली में बैठे सचिन पायलट के दावे भी अलग ही हैं। उन्होंने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार में मेरे पास 25 विधायक हैं और मेरे विधायकों के समर्थन के बिना राजस्थान की सरकार नहीं चल पाएगी। बड़ी बात यह है कि पायलट के दावे तो बड़े हैं, लेकिन असल में खुला बयान नहीं आया सारी बातें सूत्रों उनके सहयोगियों के हवाले से आ रही हैं।

बहुमत परीक्षण की मांग

राजस्थान की राजनीति में सत्ताधारी पार्टी आंतरिक लड़ाईयों से जूझ रही है, तो तो दूसरी ओर विपक्षी दल भाजपा इस पूरे मामले का चटकारे लेकर मजा ले रही है। भाजपा नेता खुलकर सचिन पायलट का समर्थन कर रहे हैं। वहीं इसी बीच दिल्ली में बैठे बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट करके बहुमत परीक्षण की मांग क‌र दी है।

भाजपा एक तरीके से कांग्रेस पर मानसिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।

विधायकों की होटलबाजी

इस दौर की राजनीति में होटल बाजी आम होती जा रही है। कर्नाटक मध्य प्रदेश गुजरात के बाद अब एक बार फिर विधायकों की होटल बाजी राजस्थान में शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सभी कथित समर्थक विधायकों को जयपुर के फाइव स्टार होटल में ठहरा दिया, जहां कांग्रेस नेताओं के सिवा किसी के जाने की अनुमति नहीं है।

एक बड़ा सवाल यह भी उठता है किस वक्त में जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच मदद को उतरना चाहिए तो इस राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओ से लबरेज सभी सियासी दल इस होटल व्यस्त हैं क्योंकि खबरें बीजेपी ने भी अपने विधायकों को एक जगह इकट्ठा कर लिया है भाजपा भी इस मामले में कोई रिस्क लेने वाली नहीं है।

 

 

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