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क्यों लगाती हैं महिलाएं छठ पर लंबा नारंगी सिंदूर? जानिए पूरा धार्मिक और वैज्ञानिक सच

Chhath Puja Sindoor Maang Se Lekar Naak Tak Kyon Lagaya Jata Hai
Chhath Puja Sindoor maang se lekar naak tak kyon lagaya jata hai

Chhath Puja Sindoor: छठ पूजा की शुरूआत 25 अक्टूबर 2025 से हो चुकी हैं. इस दिन सभी व्रती महिलाएं भगवान सूर्यदेव और छठी मैया को खुश करने के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा का व्रत संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. हालांकि सुहाग से भी इसका गहरा नाता है. वहीं, छठ पर्व पर सभी महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं. लेकिन खास बात ये है कि इस मौके पर नारंगी रंग का सिंदूर मांग से लेकर नाक तक लगाया जाता है. ये सिर्फ छठ (Chhath Puja Sindoor) पर ही नहीं बल्कि हर खास मौके पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस तरह सिंदूर लगाने की परंपरा खासी लोकप्रिय है. इसके पीछे धार्मिक कारण भी हैं और वैज्ञानिक कारण भी. चलिए तो आगे जानते हैं कैसे?

Chhath Puja Sindoor: क्यों लगाती हैं महिलाएं सिंदूर?

छठ पूजा में नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर (Chhath Puja Sindoor) लगाना एक खास परंपरा मानी जाती है.  हिंदू स्त्रियों का विश्वास है कि इससे पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. दिलचस्प बात यह है कि इस दिन महिलाएं लाल नहीं, बल्कि नारंगी रंग का सिंदूर लगाती हैं. इसके पीछे धार्मिक कारण यह है कि नारंगी रंग सूर्य का प्रतीक माना जाता है और छठ पर्व सूर्य उपासना का त्योहार है.

इसलिए सभी महिलाएं छठ पूजा के दिन विशेष रूप से नारंगी सिंदूर लगाती हैं. मान्यता यह भी है कि सिंदूर जितना लंबा लगाया जाए, पति की उम्र उतनी ही अधिक और वैवाहिक जीवन उतना ही सुखमय होता है.

क्या है नाक से मांग तक सिंदूर के पीछे की कथा? 

Chhath Puja Sindoor

पौराणिक कथाएं के अनुसार, ”वीरवान नामक युवक जंगल में बहादुरी के लिए प्रसिद्ध था, जो एक शिकारी था. एक दिन उसने धीरमति नामक युवती को जंगली जानवरों से बचाया. इसके बाद दोनों हमेशा के लिए साथ रहने लगे. लेकिन उसी जंगल में एक कालू नामक व्यक्ति भी रहता था, जिसे धीरमति का वीरवान के साथ रहना खलता था. वहीं, एक दिन वीरवान और धीरमति शिकार के लिए जंगल से दूर निकल गए. रास्ते में दोनों को प्यास लगी तो वीरवान पानी की तलाश में आगे निकल गया. दूसरी ओर धीरमति उसकी राह ताक रही थी.

कालू इसी अवसर की तलाश में था और वीरवान पर हमला कर उसे घायल कर दिया. शोर सुन धीरमति चीखती-चिल्लाती हुई दौड़ पड़ी और गुस्से में कालू पर हमला कर दिया. अंतत: धीरमति ने कालू की हत्या कर दी. जिसकी वजह से वीरवान की जान बच गई और उसने खून से सने हाथ से धीरमति का माथा और ललाट लाल रंग से भर दिया. तब से ही सिंदूर को प्रेम और विवाह का प्रतीक माना जाता है. वहीं, छठ पर्व (Chhath Puja Sindoor) पर नाक तक सिंदूर लगाने का अर्थ पति की आयु लंबी होना है.

क्या है लंबे सिंदूर के पीछे वैज्ञानिक कारण ?

Chhath Puja Sindoor

धार्मिक मान्यताओं से अलग वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो, नाक से माथे तक का हिस्सा ‘अजना चक्र’ से जुड़ा होता है. वहीं, छठ (Chhath Puja Sindoor) पर मांग से लेकर नाक तक सिंदूर लगाने पर मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और फोकस बढ़ता है. जिससे महिलाओं के जीवन में शांति और ध्यान आता है. इसलिए कहा जाता है कि, हमारी हिंदू परंपराओं में बहुत ताकत है जो हमारे जीवन और ज्यादा बेहतर बनाती है.

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Preeti Baisla is a content writer and editor at hindnow, where she has been crafting compelling digital stories since 2022. With a sharp eye for trending topics and a flair for impactful storytelling,...

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