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इस दिन से शुरू हो रहा होलाष्टक, भूल कर भी ना करें ये काम, वरना जिंदगीभर पड़ेगा पछताना

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Holashtak: होली का त्योहार आने में बस कुछ ही दिन बाकी है। 24 मार्च को होलिका दहन होगा, इसलिए होलाष्टक (Holashtak) होली से आठ दिन पहले यानी 17 मार्च से लग जाएंगे। वहीं इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को होली खेली जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते। इनमें गृह प्रवेश. मुंडन, संस्कार, सगाई, विवाह, नया वाहन खरीदना एवं अन्य मांगलिक कार्य शामिल हैं।

होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक (Holashtak) के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। माना जाता है कि होलाष्टक की अवधि में किए शुभ और मांगलिक कार्यों पर इन ग्रहों का बुरा असर पड़ता है, जिसका असर सभी राशियों के जीवन पर भी पड़ सकता है। इस वजह से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यही कारण है कि होली से पहले इन आठ दिनों में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।

Holashtak की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राक्षस कुल में जन्में प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। लेकिन, उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी। उनके पिता ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक 8 दिनों में प्रह्लाद को कई प्रकार के कष्ट दिए। अंत में पूर्णिमा पर होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया, लेकिन प्रह्लाद बच गए और वह खुद जल गई। लेकिन, इस अवधि में भगवान श्रीहिर के भक्त को कष्ट दिए जाने से नवग्रह भी क्रोधित हो गए थे। तभी से इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका के चलते इन दिनों को अशुभ माना जाने लगा और इसलिए होलाष्टक (Holashtak) में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

होलाष्टक में ना करे ये काम

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलाष्टक (Holashtak) का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है। इस दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता इसलिए इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो बेहतर है। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताए जाते हैं, इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार का हवन और यज्ञ कर्म भी नहीं किया जाता है।

Holashtak में क्या करना चाहिए

ज्योतिषाचार्य के अनुसार होलाष्टक (Holashtak) के दौरान पूजा पाठ का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान मौसम में तेजी से बदलाव होता है, इसलिए अनुशासित दिनचर्या को अपनाने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक में स्वच्छता और खानपान का उचित ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। होलाष्टक में भले ही शुभ कार्यों के करने की मनाही है लेकिन इन दिनों में अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना कर सकते हैं। व्रत-उपवास करने से भी आपको पुण्य फल मिलते हैं। इन दिनों में धर्म कर्म के कार्य वस्त्र अनाज व अपनी इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार जरुरतमंदों को धन का दान करने से भी आपको लाभ मिल सकता है।

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