Bhai Dooj: भाई दूज, दीपावली उत्सव का एक विशेष पर्व, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व बहन और भाई के बीच प्रेम, सम्मान और सुरक्षा की भावना को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। पूरे भारत में इसे बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन होता है, जिसे भाई और बहन अपने रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाने के लिए उत्साहपूर्वक मनाते हैं। इसी कड़ी में आइए जानते है इस बार कब मनाया जाएगा भाई दूज (Bhai Dooj)
भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व द्वितीया तिथि के अनुसार तय होता है। इस साल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगी। तिलक समारोह के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं, उन्हें मिठाई खिलाती हैं और लंबी उम्र तथा खुशहाली की कामना करती हैं।
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भाई दूज की पूजा विधि
भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन बहनें विशेष तैयारी करती हैं। सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद तिलक थाली तैयार की जाती है, जिसमें रोली, चावल, दीपक, मिठाई और नारियल रखा जाता है। बहनें भाई के माथे पर तिलक करती हैं, उनके हाथ में कलावा बांधती हैं और आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई को स्वादिष्ट भोजन कराकर उपहार दिया जाता है। इस परंपरा के माध्यम से भाई-बहन के बीच स्नेह और विश्वास की भावना और मजबूत होती है।
भाई दूज का धार्मिक और पौराणिक महत्व
भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व केवल सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी बहुत गहरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने आए थे। यमुनाजी ने अपने भाई का प्रेमपूर्वक स्वागत किया, उन्हें भोजन कराया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज के आशीर्वाद के कारण यह दिन भाई दूज के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इसे मनाने से भाई की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना की जाती है।
भाई दूज का सामाजिक महत्व
भाई दूज (Bhai Dooj) न केवल परिवार के भीतर भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि समाज में भी भाई और बहन के संबंधों की अहमियत को उजागर करता है। इस दिन भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसकी सुरक्षा और खुशहाली की जिम्मेदारी स्वीकार करता है। वहीं बहन भाई के लिए शुभकामनाएँ देती है और उसके जीवन में सफलता और समृद्धि की कामना करती है। इस प्रकार यह पर्व परिवार और समाज दोनों में प्रेम और एकता की भावना को बढ़ाता है।
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