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विभीषण नहीं बल्कि मंदोदरी की वजह से हुई थी रावण की मृत्यु, जानिए कैसे

विभीषण नहीं बल्कि मंदोदरी की वजह से हुई थी रावण की मृत्यु, जानिए कैसे

नई दिल्ली: रामायण में रावण वध की कहानी तो सभी को याद है। हर कोई ये बात जानता है कि रावण की मृत्यु बहुत ही कठिन थी। रावण के जितने सिर प्रभु श्री राम ने काटे, वह एक नए सिर के साथ जीवित हो गया। उस दौरान रावण के भाई विभीषण ने श्री राम को यह भेद  बताया था कि रावण की नाभि में अमृत कुंड का वास है। जब तक अमृत सुरक्षित है, रावण का कोई भी कुछ नहीं बिगड़ सकता।

यदि रावण की नाभि पर हमला किया जाए, तो ही उसकी मृत्यु होगी। यह रहस्य जानने के बाद श्री राम ने रावण की नाभि पर तीर चलाया और रावण की मृत्यु हो गई। इस रहस्य के उजागर होने के बाद ही रावण की पराजय हुई और उसकी दुष्टता का एक अध्याय समाप्त हुआ। आपको बता दें कि ये कथा सिर्फ इतनी ही नहीं है। इसका संबंध रावण की पत्नी मंदोदरी से भी हैं। जिसने यह रहस्य बताया था, जो बाद में रावण की मृत्यु का कारण बना।

ब्रह्मा जी ने दिया था ये वरदान

एक बार रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की। तीनों के कठोर तप से ब्रह्मा काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान मांगने के लिए कहा। जिसके बाद रावण ने ब्रह्मा से वरदान में अमरत्व मांगा। इस वरदान से ब्रह्माजी विवश हो गए और बोले कि किसी भी प्राणी को अमरता का वरदान नहीं दिया जा सकता। इसलिए तुम कोई और वरदान मांग लो, लेकिन रावण अपने हठ पर डटा रहा।

रावण के हठ के कारण ब्रह्माजी ने उसे एक विशेष प्रकार का तीर दिया और कहा कि तुम सिर्फ इसी तीर के प्रहार से मृत्यु के मुख में जा सकते हो। इसके अलावा किसी शस्त्र से तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी। रावण को अब यह ज्ञात हो गया था कि सिर्फ इस तीर  से ही उसे मृत्यु मिल सकती है। इसलिए रावण ने वह तीर अपने महल में सिंहासन के पास वाली दीवार में चुनवा दी। वहीं वह जब भी अपने सिंहासन में विराजमान होता, तो वह जानता था कि तीर कहां है। लेकिन ये भेद रावण के अलावा सिर्फ उसकी पत्नी मंदोदरी को पता था।

मंदोदरी ने इस प्रकार खोला था भेद

जब युद्ध में श्री राम रावण को मारने में असफल हुए, तो विभीषण ने उन्हें बताया कि रावण की नाभि में एक अमृत पान है। जिसे किसी सिर्फ और सिर्फ ब्रह्मा जी के दिए तीर से ही भेदा जा सकता है। लेकिन विभीषण को ये नहीं पता था कि वह बाण कहां हैं?

वहीं यह रहस्य जानने की जिम्मेदारी हनुमानजी को सौंपी गई। हनुमान जी ने ज्योतिष का रुप धर कर लंका गए और लोगों को भविष्य बताने लगे। उनकी चर्चा सुनकर मंदोदरी भी अपना भविष्य जानने आई। जहां बातों ही बातों में ज्योतिषी बने हनुमान ने कहा कि ब्रह्मा के दिए उस तीर से रावण को संकट है।

तब मंदोदरी ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, वह तीर सिंहासन के खंभे के पीछे सुरक्षित है। यह भेद पता करने के बाद हनुमानजी उस जगह गए और तीर लाकर श्रीराम को सौंप दिया। फिर क्या था.. उसी तीर से भगवान ने रावण का वध कर दिया। इस प्रकार से ज्योतिषी के रूप में हनुमान जी द्वारा की गई वह भविष्यवाणी सही साबित हो गई।

 

 

 

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