Posted inआस्था

पद्मिनी एकादशी क्या है, क्या है मंत्र और व्रत कथा, पूजा विधि

पद्मिनी एकादशी क्या है, क्या है मंत्र और व्रत कथा, पूजा विधि

“पद्मिनी एकादशी” मलमास के समय या अधिक मास के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है. इसे “कमला एकादशी” के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष यह मलमास के समय पड़ता है, परंतु इस वर्ष 27 सितंबर2020 दिन रविवार को पड़ रहा है इस दिन हमें भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से की जाती है. इस पूजा में “पद्मिनी एकादशी” की व्रत कथा भी पढ़नी और सुननी चाहिए अन्यथा इस व्रत को बिना कथा के अधूरा माना जाता है इसीलिए एक बार हमें इस व्रत की विधि एवं कथा के बारे में पूर्ण जानकारी ले लेनी चाहिए तत्पश्चात इस व्रत को पूर्ण करना चाहिए.

पद्मिनी एकादशी पूजा विधि

  • पद्मिनी एकादशी व्रत करने के लिए प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल दे.
  • स्नान करने के बाद जब भगवान विष्णु के सामने आप जाएं तो हाथ जोड़कर इस व्रत को करने के लिए संकल्प ले और कहे हे पुरुषोत्तम भगवान में पद्मिनी एकादशी व्रत का संकल्प लेता हूं आप ही मेरे रक्षक हैं अतः मेरी भूल चूक माफ करके मुझे, मेरी विनती को स्वीकार करें और भगवान विष्णु की आराधना करें.
  • तत्पश्चात हाथ जोड़े और अपने सभी पितरों का श्राद्ध करें.
  • भगवान विष्णु जी की पूजा आराधना करने के बाद इनकी पूजा मंत्र तथा आरती अवश्य करें.
  • पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा जरूर पढ़ें.
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें गुरु दक्षिणा दें.
  • गरीबों को भोजन भी दान कराएं.
  • पूरे दिन व्रत रहे व्रत करने के बाद इस का पारण विधि-विधान मुहूर्त पर करें.

मंत्र

ओम नमो भगवते वासुदेवाय, श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाय, ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्, ॐ विष्णवे नमः, ॐ हूँ विष्णवे नमः, ओम नमो नारायण श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि.

पद्मिनी व्रत की कथा

अवन्तिपुरी में शिव शर्मा नामक एक ब्राह्मण निवास करता था. उसके 5 पुत्र थे, इनमें से जो छोटा पुत्र था वह व्यसनों के कारण पाप क्रम करने लगा इस कारण पिता तथा कुटुंब जनों ने उसका त्याग कर दिया. अपने बुरे कर्मों के कारण निर्वासित होकर भटकने लगा, दैव्य योग से एक दिन वह प्रयाग में जा पहुंचा भूख से व्यथित उसने त्रिवेणी में स्नान करके भोजन की तलाश करनी आरंभ की इधर-उधर भ्रमण करते हुए वह हरी मित्र मुनि के आश्रम में पहुंच जाता है.

पुरुषोत्तम मास में वहां आश्रम में बहुत से संत महात्मा एकत्रित होकर “कमला एकादशी” कथा का श्रवण कर रहे होते हैं. वह पापी भी पुरुषोत्तम एकादशी की कथा का श्रवण करता है, ब्राह्मण विधि पूर्वक पुरुषोत्तम एकादशी की कथा सुनकर उन सब के साथ आश्रम पर ही व्रत करता है जब रात होती है तो देवी लक्ष्मी मां के दर्शन देती हैं और उसके पास आकर कहती हैं कि “हे ब्राह्मण पुरुषोत्तम एकादशी के व्रत के प्रभाव से मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं, और तुम्हें वरदान देना चाहती हूं.

ब्राह्मण देवी लक्ष्मी मां से एकादशी व्रत का महत्व सुनने का आग्रह करता है तब देवी उसे कहती हैं कि यह व्रत दुष्टों का नाश करता है तथा पुण्य की प्राप्ति कराता है अतः एकादशी महत्त्व के एक या आधे श्लोक का पाठ करने से भी करोड़ों पापों से तत्काल मुक्त हो जाता है जैसे मासों में पुरुषोत्तम मॉस, पक्षियों में गरुड़ तथा नदियों में गंगा श्रेष्ठ है उसी प्रकार तिथियों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ है.

 

 

 

 

 

ये भी पढ़े:

सुनील गावस्कर ने विराट और अनुष्का पर अब कही ये बात |

सोफिया हयात ने खोला बॉलीवुड का काला सच, उठाई बिगबॉस के बहिष्कार की मांग |

सुशांत की बहन श्वेता ने लगाई गुहार बोली ‘और कितना समय लगेगा’ |

बेटी नितारा के बर्थडे पर अक्षय कुमार ने किया इमोशनल पोस्ट |

लता मंगेशकर ने इसलिए नहीं की शादी, वजह ऐसी कि लेनी चाहिए प्रेरणा |

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version