Posted inआस्था

पितृ पक्ष में जाने क्या करें और क्या न करें

पितृ पक्ष में जाने क्या करें और क्या न करें

हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है, जहां माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है. इसलिए जन्म देने वाले माता-पिता की मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध करने का विशेष नियम बनाया गया है. इस नियमानुसार हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं. भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के जो 15 दिन होते हैं, उस समय को पितृपक्ष कहते हैं.

पितृपक्ष में किया जाता है पूजा और पिंडदान

इस साल का पितृ पक्ष अब शुरू हो चुका है. स्नातन धर्म के लोग पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की पूजा और पिंडदान करते हैं. हिन्दू धर्म द्वारा बनाये गए नियमानुसार पिता के लिए अपनी श्रद्धा, भाव और स्मृति को व्यक्त करते हैं और उनके मोक्ष की प्राप्ति के लिए हवन-पूजन, तर्पण व दान-पुण्य आदि करते हैं.

जो अपने पितरों को तिल से युक्त जल की अंजलियाँ देते हैं, जिससे उनके जन्म से तर्पण के दिन तक का पाप नस्ट हो जाता है. इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार, पितृ पक्ष अक्सर सितंबर के महीने में पड़ता है और इसी अनुसार इस साल भी 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा.

पूर्वजों के समय से रही है ऐसी मान्यता

पूर्वजों के पूर्वज के समय से चलती आ रही ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष का समय आशीर्वाद पाने का अच्छा समय है. यह भी माना जाता है कि उनके पूर्वजों का आशीर्वाद सदैव उनके पूरे परिवार पर बना रहेगा, सभी प्रकार के रोगों से उनकी सुरक्षा होगी. साथ-ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए सही माना जाता है.

पितृपक्ष के लिए “गया श्राद्ध” का है विशेष महत्व

पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जौ तथा चावल का पिण्ड देता है, जिसके द्वारा वो अपना सारा ऋण चुका देते हैं. पूर्वजों की स्मृति करके जल चढ़ाया जाता हैं, इसके बाद गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान भेंट किया जाता हैं. पितृपक्ष के लिए “गया श्राद्ध” का विशेष महत्व माना जाता है. इससे विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. वेदों-पुराणों में पितृपक्ष को लेकर कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है.

पितृपक्ष दर्शाता है समस्त जीव-जंतुओं से मनुष्य जाति के जुड़ाव को

पितृपक्ष किसी भी तरह से अंधविश्वास पर केंद्रित नहीं है. यह अपने परिवार के पूर्वजों व पितरों के प्रति सम्मान का रखने के लिया किया जाता है. साथ-ही यह प्रकृति व समस्त जीव-जंतुओं से मनुष्य जाति के जुड़ाव को दर्शाता है. जिसमें पशु-पक्षियों व वनस्पति की सहभागिता प्रमुखता से है.

लापरवाही से बचें

पितृ शुक्ल पक्ष के खास नियमों का पालन बड़ी ही सावधानी से करना पड़ता है. हर प्रकार की लापरवाही से बचना पड़ता है. आइये जानते हैं मुख्य रूप से हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नही करना करना चाहिए?

 

पितृ पक्ष के दौरान करना चाहिए ये पालन :

1. देवी-देवताओं की नित्य (रोजाना) पूजा करें
2. नित्य तर्पण करना जरूरी है
3. दूध, पानी, जौ, चावल और गंगाजल से तर्पण करें
4. पिंड दान अवश्य करें
5. पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है. श्राद्ध के काम में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलाकर पिंड बनाए
6. दान-दक्षिणा भी अवश्य करें

 

पितृ पक्ष के दौरान ये ना करें

1. नए कपड़े नही खरीदें
2. पान खाना और तेल लगाना वर्जित है
3. रंगीन फूलों का इस्तेमाल करना वर्जित होता है
4. शादी या कोई भी शुभ कार्य नहीं करना है
5. गरीबों, भिखारियों या किसी भी जीव-जंतु का अपमान नहीं करना चाहिए

 

 

 

 

ये भी पढ़े:

हिंदी जोक्स : बच्चे ने अपने पिता से स्कूल मैडम की शिकायत की फिर जो हुआ सुनकर |

चीन ने 2 बार की घुसपैठ की कोशिस, भारतीय जवानों ने खदेड़ा |

सुशांत केस में नहीं मिला हत्या का कोई सबूत, AIIMS की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार |

नई कार खरीदने पर ट्रोल हुए अमिताभ बच्चन, लोगों ने कहा ‘एक सोनू सूद हैं जो करोड़ो की मदद |

अमिताभ बच्चन ने खरीदी नई लग्जरी कार, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश |

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version