प्राचीन भारत का इतिहास है. महाभारत श्री कृष्ण द्वैपायन नाम के वेद व्यास ने यह ग्रंथ श्री गणेश जी की मदद से लिया गया था. जीवन के रहस्यों से भरे इस ग्रंथ को पंचम वेद कहा गया है. यह ग्रंथ हमारे देश के मन प्राण में बसा हुआ है. यह भारत की राष्ट्रीय गाथा में है. इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत का समग्र थी. यह ग्रंथ अपने आदर्श स्त्री पुरुष के चरित्रों से हमारे देश के जनजीवन को प्रभावित करता है. इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विशेषताओं का वर्णन है.
महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा यह विद्या नहीं जानता था
महाभारत के यह रहस्य
क्यों पड़ा श्री कृष्ण का नाम कृष्ण द्वैपायन
वेद व्यास ने लिखी महाभारत ज्यादातर लोग यह जानते हैं, कि महाभारत को वेद व्यास ने लिखा है. लेकिन यह अधूरा सच है. वेदव्यास कोई नाम नहीं बल्कि एक उपाधि थी. जो वेदों का ज्ञान रखने वाले लोगों को दी जाती थी. कृष्ण द्वैपायन से पहले 27 वेदव्यास हो चुके थे. जबकि वे खुद 28 में वेदव्यास थे, उनका नाम कृष्ण द्वैपायन इसलिए रखा गया क्योंकि उनका रंग सावला था और वह एक द्वीप पर जन्मे थे अंग्रेजों में संपूर्ण महाभारत दोबारा अनुदित की गई थी पहला अनुवाद अट्ठारह 8398 के बीच की सरी मोहन गांगुली ने किया था और दूसरा मन्मथ नाथ मंत्र नाथ दत्त ने 18 पंचानवे