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दीपावली पर खरीदारी के लिए हैं 3 शुभ मुहूर्त तथा पूजा के लिए 1 मुहूर्त

दीपावली पर खरीदारी के लिए हैं 3 शुभ मुहूर्त तथा पूजा के लिए 1 मुहूर्त

दीपों का त्यौहार दीपावली आज से शुरू हो गया है. दीपोत्सव पर्व के लिए पंचांग भेद होने के कारण इस बार धनतेरस को लेकर सभी में काफी असमंजस दिखाई दे रहा है. इस बार धनतेरस का त्यौहार 2 दिन यानी कि 12 नवंबर और 13 नवंबर को मनाया जा रहा है. वाराणसी और उज्जैन के ज्योतिषियों ने धनतेरस के त्यौहार को लेकर इस बारे में जानकारी दी है.

ज्योतिषियों ने बताया कि, ”इस बार त्रयोदशी की तिथि 12 नवंबर की शाम से शुरू हो जाएगी, जो कि 13 नवंबर को दोपहर 3:00 बजे तक है. इस तरह से 12 नवंबर के दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि होने की वजह से इसी दिन शाम के समय में भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाएगी और यम दीपक से धनतेरस का पावन पर्व मनाया जाएगा.

बात अगर की जाए 13 नवंबर की तो इस दिन जो भी लोग त्रयोदशी तिथि में खरीदारी करना चाहते हैं, वह कर सकते हैं. इसी तरह धनतेरस का पर्व 2 दिन तक मनाया जा सकता है और खरीददारी भी 2 दिन की जा सकती है. इसके बाद 13 नवंबर को चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी. 13 नवंबर से लेकर 14 नवंबर की दोपहर करीब 1.25 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी.

इसके बाद अमावस्या शुरू हो जाएगी 14 नवंबर को चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार दोनों एक साथ मनाए जाएंगे. 15 नवंबर के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी और उसके अगले दिन यानी कि 16 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा.

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त वाला विशेष दिन

धनतेरस वाले दिन शाम के समय में माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा की जाती है. यम दीप दान करने के बाद खरीदारी के लिए श्रेष्ठ समय बनता है. धनतेरस पर खरीदारी करने की परंपरा होती है, इस वजह से इस पूरे दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है.

धनतेरस के दिन चांदी के सिक्के, गणेश भगवान और माता लक्ष्मी की प्रतिमाओं की खरीददारी करना बहुत ही शुभ होता है. इससे परिवार में समृद्धि आती है और सभी मनोकामना भी पूर्ण होती है.

 

विद्वानों के मुताबिक धनतेरस के दिन सोने चांदी की चीजें खरीदने की भी परंपरा है. इसके साथ ही पीतल, स्टील कासा तांबा आदि के बर्तनों की भी खरीदारी की जा सकती हैं.

क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्यौहार

विद्वानों के मुताबिक धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरी भी अवतरित हुए थे जिस कारण धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी कलश में अमृत लेकर बाहर आए थे, इसी परंपरा के चलते धनतेरस के दिन सभी लोग धातु के बर्तन की खरीदारी करते हैं.

पूजा की विधि और दीप दान

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को पूजा की सामग्री के साथ-साथ औषधियां चढ़ानी चाहिए. भगवान धन्वंतरी को प्रसाद के तौर पर औषधियां चढ़ाई जाती है, और उन्हीं को प्रसाद के रूप में ग्रहण भी किया जाता है, इससे बीमारियां दूर होती हैं. भगवान धन्वंतरी को कृष्णा तुलसी और गाय के दूध से बना मक्खन का भोग लगाना शुभ माना जाता है. दीपक के लिए गाय के घी का इस्तेमाल करना उचित है.

यम का दीपदान सूर्यास्त के समय में किया जाता है. इसके लिए आटे से बना हुआ एक चौमुखा दिया बनाकर, सरसों या फिर तिल का तेल डालकर, यह दिया बाहर दक्षिण दिशा में दहलीज पर रख दिया जाता है. दीया रखते समय यमराज से परिवार की लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए. स्कंद पुराण की माने तो धनतेरस के दिन यम देव के लिए दीपदान करने से परिवार में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है.

मेरा नाम उर्वशी श्रीवास्तव है. मैं हिंद नाउ वेबसाइट पर कंटेंट राइटर के तौर पर...

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